मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री बृजेंद्र मिश्रा की एक रिसर्च रिपोर्ट पब्लिश हुई है। इसमें उन्होंने बताया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा के पांच वरिष्ठ अधिकारी ऐसे हैं जो मध्य प्रदेश के 90% से ज्यादा फैसले करते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि मुख्यमंत्री उनके फैसले नहीं बदलते बल्कि इनसे पूछ कर फैसला करते हैं। कई बार ऐसा हुआ है जब पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इनसे पूछे बिना कोई घोषणा कर दी और इन्होंने उसे घोषणा का पालन ही नहीं होने दिया। मुख्यमंत्री बदल जाते हैं परंतु यह पांचो हमेशा पावरफुल पोजीशन में रहते हैं। श्री मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में श्री शिवराज सिंह चौहान, श्री कमलनाथ और डॉ मोहन यादव के 100 दिन के कार्यकाल का अध्ययन किया है।
मोहम्मद सुलेमान IAS-1989
ग्वालियर में असिस्टेंट कलेक्टर और सिवनी, बालाघाट एवं इंदौर में कलेक्टर के पद पर रहे। फिर सीनियरिटी के कारण राजधानी में आ गए। कोरोना काल में श्री सुलेमान ने भी आपदा को अवसर बनाया। जब तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान चिंता में डूब गए। उनके प्रिय आईएएस अधिकारियों के पास कोई समाधान नहीं था तब मोहम्मद सुलेमान ने ACS हेल्थ की जिम्मेदारी संभाली। सबका कहना था कि कांटो का तक है, कलंक लग सकता है, लेकिन मोहम्मद सुलेमान ने ऐसा रिकॉर्ड बनाया कि पूरे देश में श्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर तालियां बजाई गई।
सन 2018 में सरकार बदली, कमलनाथ मुख्यमंत्री बने। इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट उनके इंटरेस्ट का सब्जेक्ट था। मोहम्मद सुलेमान उनके सारथी बन गए। जनवरी 2019 में कमलनाथ को लेकर स्विट्जरलैंड गए। बाद में इन्वेस्टर्स कॉन्क्लेव भी कार्रवाई। मोहम्मद सुलेमान कमलनाथ के सपने पूरे ही करने वाले थे कि सरकार बदल गई। श्री शिवराज सिंह चौहान फिर से मुख्यमंत्री बने परंतु वह कमलनाथ के लिए काम करने वाले मोहम्मद सुलेमान से नाराज नहीं थे। सुलेमान साहब की पावर बनी रही।
2023 में मुख्यमंत्री बदले। डॉ मोहन यादव ने पूरे प्रशासन की सर्जरी कर डाली, लेकिन सुलेमान साहब अभी पावर में है। सब की कुर्सी इधर से उधर की गई परंतु सुलेमान साहब का पेपर वेट भी नहीं हटाया गया।
मोहम्मद सुलेमान कितने पावरफुल रहे हैं, इसका अंदाजा आप केवल इस बात से लगा सकते हैं कि, मध्य प्रदेश में मंत्रियों के कहने पर उनके प्रमुख सचिव बदल दिए जाते हैं परंतु मोहम्मद सुलेमान के कहने पर मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने यशोधरा राजे सिंधिया को उद्योग मंत्री के पद से हटा दिया था।
डॉ राजेश राजौरा IAS-1990
झाबुआ में एडिशनल कलेक्टर और धार, बालाघाट, उज्जैन एवं इंदौर में कलेक्टर के पद पर रहे। मोहम्मद सुलेमान की तरह डॉक्टर राजेश राजौरा भी इंदौर के रास्ते भोपाल पहुंचे। हमेशा पावरफुल पोजीशन में बने रहे। कोरोना काल में मिले फ्री एंड का भरपूर उपयोग किया और मुख्यमंत्री के सर में जरा भी दर्द नहीं होने दिया। कमलनाथ की सरकार में किसानों की कर्ज माफी सबसे बड़ा मुद्दा था। यह काम भी डॉ राजेश राजौरा को मिला। यानी 2018 के विधानसभा चुनाव के पहले से डॉ राजेश राजौरा कमलनाथ के कांटेक्ट में थे। डॉ मोहन यादव ने जल संसाधन विभाग का काम दिया है। यहां करीब एक लाख करोड रुपए के प्रोजेक्ट चल रहे हैं।
श्री मलय श्रीवास्तव IAS-1990
करियर की शुरुआत इंदौर (एडिशनल कलेक्टर) से हुई। नरसिंहपुर और भिंड के अलावा छिंदवाड़ा के कलेक्टर रहे। शिवराज सिंह सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट जल जीवन मिशन की कमान संभाली। कमलनाथ सरकार में लोक निर्माण विभाग और उसके बाद परिवहन विभाग लिया। फिर से शिवराज सरकार आई तो पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ले लिया। 2023 में डॉ मोहन यादव मुख्यमंत्री बन गए लेकिन मलय श्रीवास्तव अपना डिपार्टमेंट छोड़ने के मूड में नहीं है इसलिए अभी उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया गया। कहा जाता है कि, श्री मलय श्रीवास्तव जिस विभाग में जब तक रहना चाहें रह सकते हैं। कोई भी मुख्यमंत्री उन्हें मना नहीं करता।
श्री एसएन मिश्रा IAS-1990
शिवराज सरकार में जल संसाधन और परिवहन विभाग। कमलनाथ सरकार में गृह विभाग और डॉक्टर मोहन यादव की सरकार में जनजातीय कार्य विभाग के साथ कृषि उत्पादन आयुक्त। मिश्रा जी के मामले में विभाग और पद महत्वपूर्ण नहीं है, क्योंकि मिश्रा जी को मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्रियों को संभालना आता है। एक प्रकार से पूरी सरकार को संभाल कर चल रहे हैं। कहीं पर कोई भी डेंट आता है तो तत्काल रिपेयरिंग का काम शुरू हो जाता है।
श्री मनीष रस्तोगी IAS-1994
शहडोल, नरसिंहपुर और सतना के कलेक्टर रहे। राजधानी के एकमात्र पावरफुल आईएएस ऑफिसर हैं जिनका इंदौर से कोई कनेक्शन नहीं है, लेकिन 9 महीने तक भोपाल के कलेक्टर रहे। श्री शिवराज सिंह चौहान को तो इतनी पसंद थे कि हमेशा उनके प्रमुख सचिव बने रहे। कमलनाथ सरकार में राजस्व विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रमुख सचिव बने। राजस्व विभाग में कई पुराने नियम बदल दिए। ई टेंडर घोटाला भी इन्हीं के कार्यकाल में हुआ। श्री शिवराज सिंह वापस मुख्यमंत्री बने, लेकिन कमलनाथ से नजदीकी के कारण श्री शिवराज सिंह चौहान के साथ संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा। रस्तोगी सब पावर में रहे। 2023 में मुख्यमंत्री बदले। डॉ मोहन यादव ने ठीक-ठाक रिस्पांस नहीं दिया तो 44 दिन तक तनाव की स्थिति बनी रही लेकिन अंत में मुख्यमंत्री को सामान्य प्रशासन विभाग जैसा महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट देना पड़ा। ✒️उपदेश अवस्थी.
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