MP NEWS - 15 कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के 370 पद खाली, अतिथि विद्वान भी नहीं बुला रहे

Bhopal Samachar
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देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से संबंधित 15 सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के 370 पद खाली है। मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर की गड़बड़ पॉलिसी के कारण असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती परीक्षा संपन्न नहीं हो पाई है। हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने नवीन पदों पर अतिथि शिक्षकों को नियुक्त करने से मना कर दिया है, क्योंकि वह नियमितीकरण मांग रहे हैं। 

कॉलेज में स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ रही है प्रोफेसर की संख्या घट रही है

मध्य प्रदेश में पिछली बार 2018 में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति हुई थी। इसके बाद कोई नई नियुक्ति नहीं हुई है। अतिथि विद्वान लगातार नियति कारण की मांग कर रहे हैं इसलिए नवीन पदों पर अतिथि विद्वानों की नियुक्ति भी नहीं की जा रही है। जबकि सरकारी कॉलेज में सीटों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के कारण कोर्स की संख्या भी बढ़ गई है। पिछले तीन साल में 35 वोकेशनल विषय अलग से नए जुड़े हैं। हालत यह हो गई है कि सरकारी कॉलेज में बीबीए, बीकॉम, एलएलबी, बीए एलएलबी, बीए, एमए, एमकॉम जैसे कोर्स की पढ़ाई भी नहीं हो पा रही है। रिजल्ट बिगड़ रहे हैं। सरकारी कॉलेज के रिजल्ट का औसत 50% आ गया है। 

बीरबल की परीक्षा कब पूरी होगी, भगवान ही जाने 

एमपी पीएससी ने 2022 में दिसंबर के अंतिम सप्ताह में सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा का एड जारी किया था। 1669 पदों के लिए यह विज्ञापन जारी हुआ था। 27 अगस्त को सेट यानी स्टेट एलिजिबिलिटी टेस्ट भी हो गया। उसके रिजल्ट भी दिसंबर तक आ गए, लेकिन सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा दो बार स्थगित हो गई। पहले यह 28 जनवरी और फिर 3 मार्च की तारीख तय की गई, लेकिन वह भी स्थगित हो गई। अब कब होगी, तय नहीं है। जानकारी अनुसार यह लोकसभा चुनाव बाद ही संभव है। वहीं पीएम कॉलेज ऑफ एक्सीलेंस के लिए इंदौर के 39 सहित प्रदेश के 2200 पद स्वीकृत किए हैं, उनकी नियुक्ति प्रक्रिया कब पूरी करेंगे, तय नहीं।

11 माह का शेड्यूल, सबसे अजब निर्णय

सहायक प्राध्यापक भर्ती परीक्षा में देरी से कई अभ्यर्थी नाराज हैं। उनका कहना है कि महज 35 विषयों की परीक्षा के लिए 11 माह का शेड्यूल देना ही एमपी पीएससी का सबसे अजब निर्णय था, क्योंकि जब औसत ढाई लाख अभ्यर्थियों की राज्य सेवा प्री परीक्षा एक दिन में करवाई जा सकती है तो यह एग्जाम तीन चरणों में भी एक माह में क्यों नहीं हो सकती थी। परीक्षा टाली गई तो इसके तुरंत बाद उसके कारण का समाधान क्यों नहीं किया गया। एक अभ्यर्थी का कहना है कि मेरे विषय की एग्जाम 17 नवंबर को प्रस्तावित थी। अब नए शेड्यूल में यह संभव हो पाएगा या नहीं? कोई कुछ बताने को तैयार नहीं है।
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