हरदा वाले राजू सेठ यानी वही राजेश अग्रवाल जिसकी फैक्ट्री में परमाणु बम जैसा ब्लास्ट हुआ। 250 में से लगभग 15 लोगों की मृत्यु हो गई और 200 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हुए। कृपा करने वाले कमिश्नरों (Mal Singh Bhaydiya IAS, dr. Pawan Kumar Sharma IAS) का मामला विधानसभा में गूंज उठा है। दोनों कमिश्नरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
कमिश्नरों ने हरदा कलेक्टर को कार्रवाई नहीं करने दी
विधानसभा में विपक्ष के विधायकों ने कहा कि, हरदा से कलेक्टर और सपा को हटा देना कोई कार्रवाई नहीं है। यह केवल एक व्यवस्था है। यदि कार्रवाई करनी है तो FIR दर्ज की जानी चाहिए। अधिकारियों को निलंबित करना चाहिए। विधानसभा में विपक्ष के विधायकों ने यह भी कहा कि, जब हरदा कलेक्टर ने राजू सेठ की फैक्ट्री को सील करने के आदेश जारी कर दिए थे तो कमिश्नर ने उन्हें राहत क्यों दी। इसके बाद दूसरे कमिश्नर ने उसे राहत को कंटिन्यू बनाए रखा। इस मामले में दोनों कमिश्नर, सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। उनके आदेश के कारण ही हरदा जिला प्रशासन राजेश अग्रवाल के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाया।
मैं नहीं मेरे बाद वाले कमिश्नर जिम्मेदार
इस मामले में तत्कालीन कमिश्नर माल सिंह आईएएस (वर्तमान में इंदौर कमिश्नर के पद पर पदस्थ) ने बताया कि उस समय फैक्ट्री में व्यावसायिक गतिविधियां संचालित करने के आदेश उप मुख्य विस्फोटक नियंत्रण भोपाल से प्राप्त अनुमतियों के आधार पर एक माह के लिए दिए गए थे। साथ ही हिदायत दी गई थी कि फैक्ट्री में अनुमति के अनुसार कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी की देख रेख में गतिविधियां जारी रहेंगी। आवक-जावक स्टाक पंजी को संधारित करना होगा। 14 नवंबर को अगली सुनवाई तक के लिए आदेश जारी किए गए थे। इसके बाद नवंबर 2022 में मेरा स्थानांतरण वहां से हो गया। मेरे जाने के बाद आगामी सुनवाई नहीं हुई। ज्ञात हो कि उक्त प्रकरण क्रमांक 018/2022 अब तक भी आयुक्त नर्मदापुरम कार्यालय में लंबित है।
पढ़िए कैसे 1 महीने की अनुमति 1 साल की हो गई
सरकारी कलाम का कमाल देखिए। फुटपाथ पर नियम विरुद्ध चल रहे ठेले वाले को 1 घंटे का समय भी नहीं दिया जाता परंतु राजू सेठ का दोष प्रमाणित हो जाने के बावजूद कमिश्नर ने उन्हें एक महीने का समय दिया। इस दौरान केवल स्टॉक क्लीयरेंस की अनुमति दी जा सकती थी परंतु कमिश्नर ने आतिशबाजी बनाने की परमिशन भी दी। बारूद के भंडारण की परमिशन भी दे दी। कुल मिलाकर कमिश्नर माल सिंह ने खुलेआम धंधा करने की परमिशन दे दी और कलेक्टर को कार्रवाई करने से रोक दिया। इसके बाद दूसरे कमिश्नर डॉ पवन कुमार शर्मा आए तो मामले की सुनवाई ही नहीं की। जिस मामले में एक महीने की तारीख लगाई गई थी, उसे मामले की सुनवाई एक साल तक नहीं हुई। वह मामला आज भी लंबित है।
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