भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 446 में रात्रि गृह-भेदन के अपराध के बारे मे बताया गया है अर्थात कोई व्यक्ति किसी के घर, निवास में सूर्यास्त के बाद अवैध तरीके से प्रवेश करता है वह रात्रि गृह-भेदन का अपराध करता है।
इसी अपराध के प्रतिरक्षा में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 105 का खण्ड 04 कहता है कि रात्रि में गृह भेदन के विरुद्ध व्यक्ति अपनी निजी प्रतिरक्षा कर सकता है अर्थात रात्रि में घर मे संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से घुसने वाले व्यक्ति को रोकने के लिए व्यक्ति पर्याप्त बल का प्रयोग कर सकता है यह उसे कानूनी निजी प्रतिरक्षा का अधिकार है।
इसी सन्दर्भ में सुप्रीम कोर्ट का एक महत्वपूर्ण निर्णय है जानिए
▪︎ रीजान बनाम छत्तीसगढ़ राज्य मामले मे सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि यह अधिकार तब प्रारंभ होता है जब कोई व्यक्ति विधि विरुद्ध, किसी व्यक्ति के गृह में रात्रि में प्रवेश करता है। निजी प्रतिरक्षा का अधिकार तब तक बना रहता है जब तक विधि विरुद्ध प्रवेश करने वाला वह व्यक्ति घर की निर्धारित सीमा के भीतर होता है।
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