BNS 44, IPC 106 - मॉब लिंचिंग या भीड़ के हमले से बचने हथियार और हत्या, अपराध या अधिकार, पढ़िए

Bhopal Samachar
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Legal general knowledge and law study notes 

यदि कोई एक व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति की हत्या करने का प्रयास करें तो दूसरा व्यक्ति आत्मरक्षा में हमलावर को रोकने के लिए हथियार उठा सकता है। आईपीसी की धारा 100 के तहत यह अनुमति दी गई है परंतु किसी सार्वजनिक स्थान पर मोब लिंचिंग अथवा हिंसक भीड़ के हमले से बचने के लिए, क्या कोई व्यक्ति हथियार उठाकर भीड़ पर हमला कर सकता है, और यदि इस दौरान किसी हमलावर की मृत्यु हो गई तो क्या होगा। आईए जानते हैं:- 

भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 100 व्यक्तियों को शारीरिक निजी प्रतिरक्षा का अधिकार देती है एवं संहिता की धारा 105 व्यक्ति को संपत्ति के विरुद्ध निजी प्रतिरक्षा का अधिकार प्रदान करती है। यह अधिकार व्यक्ति को तब ही दिए जाते है जब कोई व्यक्ति विधि विरुद्ध हमला करता है और सामने वाले व्यक्ति को मृत्यु या खतरे की आशंका हो लेकिन अगर कोई व्यक्ति किसी पर सार्वजनिक भीड़ वाले स्थान पर हमला कर दे तब बचाव करने वाले व्यक्ति का क्या कानूनी अधिकार होगा जानिए। 

भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 44, भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 106 की परिभाषा 

यदि किसी सार्वजनिक स्थान पर कोई भीड़ किसी व्यक्ति पर हमला करती है और हमले का शिकार होने वाले व्यक्ति को अपनी जान का खतरा महसूस होता है तो वह अपने प्राणों की रक्षा के लिए, भीड़ को रोकने के लिए लाइसेंसी हथियार का उपयोग भी कर सकता है। इस दौरान भीड़ में मौजूद कुछ लोगों को यदि चोट लग जाती है, यदि वह घायल हो जाती है, या फिर किसी की मृत्यु हो जाती है तो भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 44 अथवा भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 106 के तहत उसके इस अपराध को क्षमा कर दिया जाता है।

BNS 44, IPC 106 - Important Supreme Court judgements

गोतिपुल्ला बेकटशिवा सुब्रमण्यम बनाम आंध्र प्रदेश राज्य मामले मे उच्चतम न्यायालय ने कहा कि शरीर एवं संपत्ति की प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार को प्रायः सभी स्वतन्त्र, सभ्य एवं लोकतांत्रिक देशों ने मान्य किया है।  धारा 106 में जिस प्राइवेट प्रतिरक्षा के अधिकार का उल्लेख है उसका प्रयोग ऐसे सभी घातक हमलों के विरुद्ध किया जा सकेगा जिससे मृत्यु होने की आशंका हो। अत: ऐसी स्थिति में यदि कोई निर्दोष व्यक्ति अपनी प्रतिरक्षा के लिए हानि करने जोखिम उठाता है, तो वह दोषी नहीं माना जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) 

:- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद), इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com
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