मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर और राज्य सेवा परीक्षा 2019 के उम्मीदवारों के बीच में अब लड़ाई का स्तर बदल गया है। MPPSC-2019 अब तक की सबसे विवादित परीक्षा बन गई है। एमपी लोक सेवा आयोग द्वारा पॉलिटिक्स की जाने लगी है। आज हाईकोर्ट में सुनवाई होनी थी परंतु आयोग ने अपनी ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता को भेजा ही नहीं। उनके स्थान पर दूसरे अधिवक्ता न्यायालय में प्रस्तुत हुए जिन्होंने संबंधित अधिवक्ता को अनुपस्थित बताकर तारीख बढ़ाने का निवेदन किया। नाराज हाईकोर्ट ने तारीख को 8 सप्ताह आगे बढ़ा दिया।
मध्य प्रदेश राज्य सेवा परीक्षा 2019 - हाई कोर्ट में कार्यवाही का विवरण
शुक्रवार को सुनवाई के दौरान एमपीपीएससी की ओर से प्रस्तुत वकील ने कोर्ट से कहा कि याचिका पर बहस के लिए एक सप्ताह आगे का समय निर्धारित किया जाए। याचिका पर पीएससी की ओर से पक्ष महाधिवक्ता रखेंगे और वे आ नहीं सके। पीएससी की ओर से मौजूद अन्य वकील ने दलील दी कि 13 हजार विद्यार्थियों के भविष्य का प्रश्न है इसलिए जल्द सुनवाई हो और अगले सप्ताह का समय दे दिया जाए। इस पर कोर्ट ने पीएससी को फटकार लगाते हुए कहा कि यदि पीएससी इसे महत्वपूर्ण विषय मानता है तो वकील उपस्थित क्यों नहीं हुए। कोर्ट ने याचिका पर अगली सुनवाई 12 फरवरी को निर्धारित की है।
अब क्या झगड़ा चल रहा है पढ़िए
राज्यसेवा परीक्षा-2019 की मुख्य परीक्षा भी दो बार हुई और परिणाम भी दो बार बदल चुके हैं। उलझनों की खिचड़ी बन चुकी इस चयन प्रक्रिया के बाद इंटरव्यू के भी दो दौर होंगे। दूसरे परिवर्तित परिणाम में ऐसे कई अभ्यर्थी बाहर हो गए थे, जो पहले इंटरव्यू के दौर के लिए चयनित थे। ये अभ्यर्थी कोर्ट में पहुंचे और पीएससी के नार्मलाइजेशन के फार्मूले पर सवाल उठाया। अभ्यर्थियों ने कहा कि दो अलग-अलग परीक्षाओं का आकलन करने के लिए कोई फार्मूला कैसे बनाया जा सकता है। कोर्ट ने ऐसे 389 अभ्यर्थियों को राहत दी और पीएससी द्वारा इन्हें इंटरव्यू में शामिल करने का आदेश दिया। पीएससी ने अपने नए परिणाम से चयनित अभ्यर्थियों के इंटरव्यू तो करवा लिए, लेकिन कोर्ट से राहत लेकर आए अभ्यर्थियों के लिए इंटरव्यू का दूसरा दौर आयोजित नहीं किया, बल्कि पीएससी ने अब कोर्ट के आदेश पर पुनर्विचार करने के लिए अपील दायर कर दी।
नार्मलाइजेशन का फार्मूला आब्जेक्टिव एग्जाम में लगता है सब्जेक्टिव एग्जाम में नहीं
अभ्यर्थियों ने पीएससी पर प्रक्रिया को उलझाने का आरोप लगाया। अभ्यर्थी और याचिकाकर्ता आकाश पाठक के अनुसार गलत नियमों के चलते चार साल से प्रक्रिया अटकी है। अब पीएससी कोर्ट से कह रहा है कि प्री में फेल हुए अभ्यर्थियों को राहत मिली है, ऐसे में वह उनके साक्षात्कार नहीं करवा सकता। यह जानकारी माननीय कोर्ट को यदि पूर्व में अवगत करवाई होती तो यह मामला अभी तक सुलझ गया होता। नार्मलाइजेशन का फार्मूला आब्जेक्टिव एग्जाम में लगता है लेकिन पीएससी ने सब्जेक्टिव एग्जाम में लगाकर एक नई परंपरा शुरू कर दी है। अब याचिका लंबित रहने से परिणाम में देरी होगी। सुप्रीम कोर्ट में भी एक याचिका चल रही है ऐसे में पूरी परीक्षा ही मनमाने नियमों से उलझती दिख रही है।
✔ पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। ✔ यहां क्लिक करके भोपाल समाचार का व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करें। ✔ यहां क्लिक करके भोपाल समाचार का टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।