मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती आरक्षण मामले में हाई कोर्ट का स्थगन आदेश - MP NEWS

मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा 2023 में महिला अभ्यर्थी एवं एक्स सर्विसमैन उम्मीदवारों के लिए मध्य प्रदेश पुलिस विभाग की ओर से एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया गया था, जिसमें महिला एवं एक्स सर्विसमैन का आरक्षण गलत तरीके से लागू करने को लेकर सर्कुलर जारी किया गया। इस गजट नोटिफिकेशन के खिलाफ अधिवक्ता श्री दिनेश सिंह चौहान, श्री अंबर मिश्रा, श्री दीपचंद बागरी ने जबलपुर स्थित हाई कोर्ट आफ मध्य प्रदेश में याचिकाकर्ताओं की तरफ से पक्ष रखा गया। याचिका में पुलिस भर्ती के एवं पुलिस मुख्यालय के ADG द्वारा एवं पुलिस विभाग के द्वारा जारी गैजेट नोटिफिकेशन GOP 150/2022 को चुनौती दी गई। 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में विद्वान जस्टिस श्री जीएस अहलूवालिया द्वारा यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया था कि जस्टिस श्री संजय दुबे ने Neha Singh & Others Vs State of Madhya Pradesh मामले में एवं जस्टिस श्री एम एस भट्ट ने Aditi Tiwari & others Vs State of Madhya Pradesh मामले में पहले ही आर्डर जारी कर दिया है कि महिलाओं और एक्स सर्विसमैन को रिजर्वेशन, भर्ती प्रक्रिया के अंतिम चरण में दिया जाएगा ना कि प्रारंभिक चरण में। 

मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल भोपाल की ओर से एवं मध्य प्रदेश शासन की ओर से प्रस्तुत हुए अधिवक्ताओं द्वारा पुराने मामलों में तर्क दिया गया था कि मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती में प्रारंभिक परीक्षा होती है और प्रारंभिक परीक्षा में एक्स सर्विसमैन एवं महिलाओं को आरक्षण का लाभ देना अनिवार्य नहीं है। 

इन सभी तर्कों को दरकिनार करते हुए माननीय चीफ जस्टिस एवं जस्टिस श्री विशाल मिश्रा ने, अधिवक्ता श्री दिनेश सिंह चौहान के तर्कों से सहमत होते हुए उक्त सभी फसलों को स्ट कर दिया है और अपील को एडमिट कर लिया है। अधिवक्ता श्री दिनेश सिंह चौहान द्वारा कुछ महत्वपूर्ण तर्क प्रस्तुत किए गए थे। बताया था कि, कर्मचारी चयन मंडल भोपाल एवं मध्य प्रदेश शासन द्वारा लगातार माननीय उच्च न्यायालय को गलत जानकारी दी जा रही है कि मध्यप्रदेश पुलिस भर्ती परीक्षा में प्रारंभिक परीक्षा होती है जबकि वास्तविकता यह है कि कोई भी प्रारंभिक परीक्षा नहीं होती बल्कि जो पेपर पहले 100 नंबर का हुआ करता था सन 2023 में वह 200 नंबर का हो गया है। इसमें 100 नंबर लिखित परीक्षा के और 100 नंबर शारीरिक परीक्षा के निर्धारित किए गए हैं। दोनों अंको को मिलने के बाद परीक्षा की मेरिट लिस्ट बनाई जाती है। 

इसके अलावा माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा INDRA SAWHNEY & OTHERS VS UNION OF INDIA (1992) स्पष्ट किया जा चुका है कि वर्टिकल और हॉरिजॉन्टल रिजर्वेशन एक साथ ही लागू होंगे। अधिवक्ता श्री दिनेश सिंह चौहान ने माननीय न्यायालय के समक्ष मध्य प्रदेश सरकार की भारतीयों की नियम पुस्तिकाएं भी प्रस्तुत की। 

माननीय मुख्य न्यायाधीश महोदय की डबल बेंच अधिवक्ता श्री दिनेश सिंह चौहान के तर्कों से सहमत हुई और सभी आदेशों को स्थगित करते हुए Gyanendra Patel & Others Vs State of Madhya Pradesh (WA-1267/2023) अपील को एडमिट किया। हाई कोर्ट द्वारा कर्मचारी चयन मंडल भोपाल को नोटिस भेज कर इस मामले में उनका जवाब मांगा गया है। मामले में कर्मचारी चयन मंडल भोपाल की ओर से अधिवक्ता श्री राहुल दिवाकर और मध्य प्रदेश शासन एवं मध्य प्रदेश पुलिस विभाग की ओर से अधिवक्ता श्री पीयूष जैन उपस्थित हुए। 

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