मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में शिवपुरी मार्ग पर मोहना के निकट स्थित प्राकृतिक वॉटरफॉल सुल्तानगढ़ में आदिमानव के रहने के प्रमाण मिले हैं। जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति विभाग की रिसर्च में उन शैल चित्रों के समूह को खोज लिया गया है, जो 15000 साल पहले बनाए गए थे।
SULTANGARH GWALIOR MP- 15000 साल पहले यहां इंसान रहते थे, अब घना जंगल है
बताया गया है कि डिपार्टमेंट के प्रोफेसर शांति देव सिसोदिया एवं रिसर्च स्कॉलर स्टूडेंट राहुल बरैया, शिवपुरी कुछ अधिकारियों के साथ सुलतानगढ़ वॉटरफॉल गए थे। यहां पर पार्वती घाटी में झरने के नजदीक शैल चित्र मिले हैं। पत्थर पर बनाए गए यह चित्र रंगीन है। इनमें नेचुरल कलर का उपयोग किया गया है। यहां से 5 किलोमीटर दूर "टीकला" नाम के स्थान पर शैल चित्रों का समूह मिला है। ब्राह्मी लिपि में लिखा गया एक अभिलेख भी मिला है। इसके अलावा माधव नेशनल पार्क के अंदर चुड़ैल छज्जा नाम के स्थान पर ताम्र पाषाण काल के ऐतिहासिक चित्रों वाले शैलाश्रयों में ब्रह्मलिपि तथा शंख लिपि के दो अभिलेख भी मिले हैं।
मोहन से शिवपुरी तक जंगलों में आज भी हजारों रहस्य
उल्लेखनीय है कि उत्तर से दक्षिण की तरफ आगरा के बाद मानव सभ्यता एवं पृथ्वी पर जीवन के विकास से संबंधित कई महत्वपूर्ण घटनाओं के प्रमाण मिलते हैं। ग्वालियर से लेकर शिवपुरी तक का पूरा क्षेत्र महान तपस्वियों और चमत्कारी साधु संतों का आवास क्षेत्र था। ग्वालियर का नाम भी आयुर्वेद के विशेषज्ञ एक ऋषि के नाम पर रखा गया है। कहते हैं कि मोहन के आसपास के जंगलों में और शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क में भीतरी क्षेत्रों में जहां वन विभाग के लोगों की नियमित पेट्रोलिंग नहीं होती, कई ऐसे जीव जंतु रहते हैं, जिनके बारे में लोगों को कोई जानकारी नहीं है। इनमें से कुछ इंसानों की तरह दो पैरों पर खड़े होते हैं लेकिन अजीब सी आवाज निकालते हैं।
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