बांदकपुर के निकट भगवान शंकर की ससुराल, सावन में होगी मनोकामना पूरी - Old Shiv Temple

प्राची अनामिका मिश्रा
। मध्य प्रदेश के दमोह जिला के बांदकपुर से 4 किमी की दूरी रोहनिया गाँव के पास में ही भगवान शंकर की ससुराल है जहां पर पार्वती जी विराजमान है। इस देवभूमि में अनादिकाल से बांदकपुर मन्दिर के ही समतुल्य भगवान शंकर का शिवलिंग स्थापित है। जिसकी प्रमाणित जानकारी यहाँ क्षेत्र के बुजुर्गों के पास भी नही है। 

हर साल भगवान शंकर की बारात आती है

भगवान शंकर जी की ससुराल में माता पार्वती के दर्शन और शिवलिंग के दर्शन यहां पर एक ही स्थान में करने को मिल जाते हैं और यहां पर भक्तों की मनोकामना भी पूर्ण होती है। रोहनिया के इस स्थान पर माता पार्वती जी का मंदिर हैं जिसे बांदकपुर वाले भगवान जागेश्वर नाथ जी की ससुराल के रूप में मान्यता है और प्रत्येक वर्ष पूरे विधिविधान से यहां पर बांदकपुर मन्दिर से भगवान शंकर जी की बारात मन्दिर प्रशासन और भक्तों के द्वारा यहां लेकर आई जाती है। 

देखने और जानने को

यहां पर सेवा करने वाले बुजुर्ग मुन्नी सिंह जो इसी ग्राम के हैं, वो बताते हैं कि रोहनियां के इस स्थान पर  प्राचीन काल से ही गुफा भी है। फिलहाल इस गुफा का संरक्षित न होने की वजह से इसका अस्तित्व खतरे में है। साथ ही यहां पर खेर माता की प्राचीनतम मूर्तियां दर्शन करने को है, खेर माता की मूर्तियां कब से यहां पर लाई गई इसकी भी अनुमानित जानकारी किसी को नही है। यहीं पर राम लक्ष्मण मन्दिर और पीछे तरफ भव्य हनुमान जी का मंदिर भी बनाया गया है। इस देव परिसर की साफ सफाई ग्रामीण जन करते हैं। जबकि इस मंदिर की पूजा और आरती ग्राम हलगज के कब्बू महाराज करते हैं। 

बांदकपुर शिवलिंग की महिमा

बांदकपुर मन्दिर में विराजमान शिवलिंग जिनको भगवान जागेश्वर नाथ के नाम से जानते हैं, जो यहां खुद प्रकट हुए थे, जो अनादिकाल से विराजमान हैं। भगवान जागेश्वर नाथ शिवलिंग ही के ठीक पास में ही इमरती बनी हुई है। इमरती में विलुप्त रूप से हमेशा पानी आता है। इसी जल्द से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता था।बुंदेलखंड के दमोह में स्थित तीर्थ क्षेत्र जागेश्वरनाथ धाम बांदकपुर में भगवान शिव अनादिकाल से विराजमान हैं। इनकी ख्याति प्रदेश तक ही सीमित न रहकर पूरे भारत वर्ष में है। यही कारण है कि चारों धाम की यात्रा करने वाले भक्त इस तीर्थ के दर्शन किए बिना नहीं रहते हैं। जहां पर प्रथम श्रीजागेश्वरनाथ जी का यह स्वयंभूलिंग है।

आस्था का प्रत्यक्ष प्रमाण

भगवान जागेश्वर नाथ मंदिर के शिवलिंग पर जब सवा लाख कांवर चढ़ने पर माता पार्वती और महादेव के दोनों मंदिरों के झंडे एक दूसरे के मंदिर की तरफ झुककर आपस में मिलकर अपने आप गांठ बंध जाती है। इन साक्षात चमत्कारों से अभिभूत होकर श्रद्वालु महाशिव रात्रि पर्व पर भगवान शिव पार्वती के स्वयंवर का आनंद उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाते हैं। और रोहनियां के पार्वती मन्दिर बारात लेकर जाते हैं।

भक्तों को सुविधाएं और विशेषता

बांदकपुर मन्दिर के श्री जागेश्वर धाम में कोई पण्डा नहीं है। श्रद्धालु खुद ही स्वतंत्रतापूर्वक दर्शन करते हैं, और यहां किसी भी श्रद्धालु को चढ़ावा, दक्षिणा के लिये प्रेरित व बाध्य नहीं किया जाता है, जो भी श्रद्धालु अपनी स्वेच्छा से दान देना चाहे मंदिर के कार्यालय में  जाकर राशि जमा करके रसीद प्राप्त करते हैं। 

शासकीय विश्राम भवन, पर्यटन धर्मशाला, नवीन धर्मशाला, सुविधायुक्त श्री जागेश्वर धाम विश्राम भवन, 15X12 के 3 टीन शेड। धर्मशाला के पास ही स्नान आदि के लिये सुलभ शौचालय काम्पलैक्स, एवं नहाने एवं पीने के पानी के लिए मंदिर परिसर में साथ ही मन्दिर के बाहर 24 घंटे पानी की व्यवस्था है। यहां पर ट्रेन मार्ग भी है और यहां आसानी से बस ट्रेन या स्वयं के वाहन से चारो दिशा से पहुंच मार्ग है। यह स्थान दमोह से 24 किमी, और जबलपुर लगभग 110 किमी है। 

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