MPHS TST 2023 - जिसने इतिहास का पेपर बनाया उसकी योग्यता की जांच होनी चाहिए

कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा 05अगस्त 2023 को प्रथम पाली में आयोजित उच्चतर माध्यमिक शिक्षक चयन परीक्षा इतिहास विषय में कुल 49 आपातियां दर्ज की गई है। मजे की बात यह भी है कि रूस, चीन, जापान, मंगोल, इटली, फ्रांस से संबंधित प्रश्न पूछे गए। जबकि मध्य प्रदेश के परमार वंश, चंदेल वंश, कल्चुरी, प्रतिहार आदि से संबंधित कोई प्रश्न नहीं पूछा गया। प्रश्न और उत्तर में जिस प्रकार की गलतियां की गई है, स्पष्ट होता है कि पेपर बनाने वाले को इतिहास का ज्ञान नहीं था। जांच होनी चाहिए, कहीं पेपर बनाने वाले की नियुक्ति में कोई घोटाला तो नहीं है।

उम्मीदवारों को इन प्रश्नों पर आपत्ति

1. राजस्थान में सबसे ज्यादा तांबा कहां मिला।
उत्तर में खेत्री लिखा था, जबकि खेतड़ी होना था। (व्याकरण की गलती है प्रूफ रीडिंग में क्यों नहीं पकड़ी)
2. 1857 की क्रान्ति मे बड़ौत उत्तर प्रदेश से किसने नेतृत्व किया। 
उत्तर में लक्ष्मीबाई लिखा है जबकि प्राइमरी के टीचर भी जानते हैं कि सही उत्तर शाहमल है।
3. शाक्य, लिच्छवी और मल्ल में कितनी जनजातियां थी ?
उतर में 1 दिया है जबकि 12 जनजातियां थी। इतना भी नहीं पता तो प्रश्न पूछा ही क्यों।
4. हड़प्पा में कितने अन्न भंडार थे ?
उतर में 6 जबकि 6 जोड़ी में कुल 12 थे। (पेपर बनाने वाले का इतिहास के साथ-साथ गणित भी कमजोर है।)
5. मध्य एशिया में पांडुलिपि को केसे लिखा जाता था ?
उतर में मेघचर्म लिखा है जबकि मिट्टी की पट्टिका पर लिखते थे।
6. जहांगीर के शासन काल में किसे "खान ए समन" का पद दिया। 
प्रश्न ही गलत है, "खान ए समन" कोई पद नहीं था "खान-ए-समा" था।
7. सुमंत कौन थे। 
कोई भी विकल्प सही नही। सुमंत शिवाजी के अष्टप्रधान विदेश मंत्री का पद था।
8. किस राजा को हिंदुस्तान का बादशाह कहा जाता है।
 उतर में बाबर लिखा है जबकि जिन्होंने इतिहास की किताब नहीं उठाई उन्हें भी पता है कि अकबर को बादशाह-ए-हिंदुस्तान कहा जाता है।

इसी तरह से अन्य प्रश्न भी है जो कि परीक्षा की गुणवत्ता की दृष्टि से निन्दनीय है। सीधी बात यह है कि जिस विशेषज्ञ को प्रश्न पत्र बनाने का काम दिया गया यदि उसे प्रश्नों का चयन करना नहीं आता, जिन प्रश्नों के उत्तर आठवीं पास बच्चे भी सही देते हैं, उच्च माध्यमिक शिक्षक परीक्षा का पेपर बनाने वाले को वह उत्तर भी पता नहीं थे। प्रूफ रीडिंग के बावजूद हिंदी के व्याकरण की गलतियां ठीक नहीं होती। यानी सिस्टम में गड़बड़ है। इस पेपर को देख कर लगता है कि, पेपर तैयार करने वाले विशेषज्ञों की नियुक्ति में घोटाला हुआ है। इनकी योग्यता की जांच करनी चाहिए। ✒ आवेदक सतीश कुमार

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