MP NEWS- सरकारी स्कूल में एडमिशन के लिए रिश्वत में मुर्गा और शराब, 3 शिक्षक सस्पेंड

Bhopal Samachar
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शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकार ने भले ही प्राइमरी एजुकेशन अनिवार्य एवं निशुल्क कर दी हो परंतु मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में प्राइमरी स्कूल में एडमिशन के लिए शिक्षकों को रिश्वत में मुर्गा और शराब देना पड़ता है। प्रशासन को भी इस पर कोई आपत्ति नहीं थी परंतु जब एक वीडियो वायरल हो गया तो कलेक्टर भव्य मित्तल को वीडियो में दिखाई दे रहे तीनों शिक्षकों को सस्पेंड करना पड़ा। 

वीडियो सहित शिकायत की फिर भी कार्रवाई नहीं हुई

बुरहानपुर जिले की ग्राम सोनुद स्थित प्राथमिक स्कूल का वीडियो वायरल हुआ है। ग्रामीणों ने बताया कि 28 जुलाई शुक्रवार को शिक्षकों ने दोपहर 2.45 बजे स्कूल की छुट्टी कर दी थी। इसके बाद प्रधान पाठक नवल राठौड़, शिक्षक अरुण पंधारे और शिक्षक सिकराम पवार मुर्गा और शराब पार्टी करने लगे। ग्रामीणों ने इसका वीडियो बना लिया। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि वीडियो सहित प्रशासन से शिकायत की गई परंतु कोई कार्यवाही नहीं हुई, तब यह वीडियो सोशल मीडिया पर अपलोड किया गया। 

2 विद्यार्थियों के एडमिशन के बदले मुर्गा और शराब लिए थे

ग्रामीण पवन ओहान ने बताया कि शिक्षकों ने दो बच्चों का एडमिशन करवाने के लिए मुर्गा लिया था। स्कूल बंद कर शिक्षकों ने बच्चों से कहा कि हमें एक मीटिंग में जाना है, स्कूल की छुट्टी हो गई है। पार्टी के दौरान तीनों शिक्षक गाने सुनते-सुनते शराब पी रहे थे। हम पहले भी कई बार प्रधान पाठक को हटवाने की मांग कर चुके हैं। 

दो शिक्षक रह चुके छात्रावास अधीक्षक

नेपानगर में स्कूल जनजातीय विभाग संचालित करता है। अधिकांश शिक्षकों को ही छात्रावास अधीक्षक भी बनाया जाता है। शिक्षक अरुण पंधारे को डवाली खुर्द स्थित आदिवासी छात्रावास का अधीक्षक बनाया गया था, लेकिन उनके समय में यह छात्रावास बंद हो गया। इसका कारण बताया गया कि छात्रावास में रहने के लिए आदिवासी विद्यार्थी नहीं मिल रहे हैं। छात्रावास में अधीक्षक रहते हुए पंधारे पर आरोप लगा था कि वे छात्रावास का सामान वाहन में भर ले गए। हालांकि बाद में उन्हें सामान वापस करना पड़ा। 

शिक्षक सिकराम पवार भी सातपायरी में छात्रावास अधीक्षक रह चुके हैं। विवादित कार्यशैली के कारण उन्हें भी सस्पेंड कर दिया गया था। इसके बाद उनकी पदस्थापना शिक्षक के बतौर सोनुद में की गई। निलंबित प्रधान पाठक नवल सिंह का कहना है कि एक ग्रामीण ने दोपहर में खाना खाने बुलाया था। इसलिए चले गए। वहां मुर्गा खाया, लेकिन शराब नहीं पी थी। उस दिन 3 बजे गए थे। हमने पहले छुट्टी कर दी थी। कुछ बच्चों की आंखों में इंफेक्शन था। हमारी भी आंखें आई थीं, इसलिए भी जल्दी छुट्टी कर दी थी। यही थोड़ी सी गलती हमसे हो गई।

बुरहानपुर में सस्पेंड करके आरोप-पत्र नहीं देते

नियमानुसार 45 दिन के भीतर निलंबित हुए शिक्षक को आरोप पत्र दिया जाना चाहिए। ऐसा नहीं किए जाने पर 45 दिन बाद विभागीय नियम के अनुसार शिक्षक खुद ही बहाल हो जाता है। खास बात यह है कि अब तक कई छात्रावास अधीक्षक और शिक्षक ऐसे हैं जिनका निलंबन हुआ था, लेकिन आरोप पत्र नहीं मिलने के कारण 45 दिन बाद वे खुद ही बहाल हो गए। 

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