मातृशक्ति के नेतृत्व में ही अध्यापकों की एकजुटता संभव है - khula Khat

हमारे कुछ अध्यापक नेता मित्र अभी भी यही सोच रहे हैं या वह यह चाहते है कि बिना इंतजार किए, उनकी एक पोस्ट पढ़ते ही अगले पल प्रदेश का अध्यापक लाखों की तादाद में भोपाल पहुंचकर ओल्ड पेंशन सहित सारी मांगे एक ही झटके में सरकार से मनवा लेगा। आज के दौर में जितने भी हमारे पुरुष नेतृत्वकर्ता है, क्या उनमें से किसी में भी अकेले मुरलीधर पादीदार जैसे जीवट नेतृत्व धार है जो अपने बूते पच्चीस पचास हजार भी अध्यापक भोपाल बुलवा ले। हमारे साथी जब संयुक्त रूप से दम नही भर पा रहे हैं, तो फिर अकेले क्यू आकाश में कुसुम उगाने का सपना पाले बैठे है। 

अध्यापकों के नेता अपने बूते गेट नंबर 1 तक भी नहीं जा सकते

आज का दौर एकजुटता का दौर है। सरकार भी एकजुट होते हैं, उनकी ही सुनती है। अकेले कुनबे घड़ने से कुछ हासिल नहीं होगा। एकजुट होकर रहेंगे तो जो सरकार से जो चाहोगे वह हासिल कर पाओगे। झाबुआ, अलीराजपुर जिला एकजुटता की मिसाल है। मातृत्व शक्तिरूपा हमारी बहनों को आगे करो, सीएम हर जगह खुद रुककर आपकी बात सुनेगे। हमारे अध्यापक नेता भाईयो के लिए सीएम से मिलना कभी बाए हाथ का खेल था लेकिन आज विडंबना यह है कि उन्हें बिना सहारे के अपने बूते गेट नंबर एक तक भी जाना बड़ा मुश्किल हो गया है। आखिर में अध्यापक नेता अपनी इस दयनीय स्थिति के लिए स्वयं जिम्मेदार है। 

मेरा नही अमूमन प्रदेश के हर एक आम अध्यापकों की भी यही राय है कि हम इस दौर की आखरी लड़ाई हमारी मातृशक्ति नेतृत्व की अगुवाई में लड़े। हमारे पास बहन शिल्पी सिवान जैसी एक सशक्त धारदार प्रांतीय नेतृत्व भी है, जिसमे दर्शन भाई जेसी दहाड व मुरली भाई जैसी नेतृत्व की धार है। जिसके जिले व संभाग भर के कार्यक्रम से ही सरकार भय खाते दिखती है। हमारी मातृशक्ति बहनों में यह माद्दा व जीवटता है कि वह अध्यापकों में अपने हक के लिए सोई-खोई चेतना को जागृत कर सरकार से लड़ने की शक्ति का संचार भर सकती है। बशर्ते जिसका हमारे सभी प्रांतीय नेतृत्वकर्ता भाई सारे गिले शिकवे भुलाकर अध्यापक हित में    संगठित होकर एक कार्य योजना बनाकर मातृशक्ति नेतृत्व का समर्थन कर साथ दे तो।

बेशक मेरी बातों से कुछ साथियों को ठेस भी लगेगी लेकिन सीएम मातृशक्ति के पूजक है। इसलिए हम उम्मीद कर सकते हैं कि महिला नेतृत्व को अगुवा कर अपने हक की आवाज उठाएंगे तो सीएम तक आवाज जरूर जायेगी और सुनी भी जायेगी। जो भाई लोग निस्वार्थ भाव से कुनबे के बिखरे सभी मोतियों को संगठित कर सीएम से समन्वयन बनवाने का मार्ग प्रस्तत कर एक अदद अध्यापक शिक्षक सम्मेलन का प्रयास कर रहे हैं उनका साथ दे। निश्चिंत रहे यदि सफल रहे तो मंच की कुर्सियों पर अध्यापकों के अपने अपने नेतृत्व के मोती ही सजायेगे। अतः में यही कहूंगा मातृशक्ति की अगुवाई में ही एकजुटता दिखाई जाय तभी हम सभी का आखरी दौर सुनहरा होग।- अरविंद रावल 

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