जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा संचालित भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण अधिनियम के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कई अभ्यर्थियों द्वारा याचिकाएं उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दी गई। इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षित वर्ग की याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत दी है एवं नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।
ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने ज्ञापन दिया
अधिवक्ता श्री विनायक प्रसाद शाह ने बताया कि, ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति महोदय, प्रधानमंत्री महोदय, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग, सामाजिक न्याय मंत्रालय, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री महोदय, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग एवं संघ लोक सेवा आयोग को ज्ञापन प्रेषित किया है।
ज्ञापन में मांग की गई है कि हाई कोर्ट द्वारा दिए गए सुझाव पर न्यायिक सेवा नियम 1994 में जो संशोधन किया गया है वह असंवैधानिक है। इसे निरस्त किया जाना चाहिए एवं सन 2015 से हाई कोर्ट द्वारा की गई समस्त भर्तियों की जांच की जा सके दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई की जाए। तथा हाईकोर्ट की समस्त भर्तियां, स्वतंत्र एजेंसी लोक सेवा आयोग से करवाई जाए।
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