मध्य प्रदेश शासन के स्कूल शिक्षा विभाग एवं जनजातीय कार्य विभाग द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों की वैकेंसी फिल करने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय को नोडल एजेंसी बनाया गया था ताकि समस्त कार्य सुचारू रूप से चलते रहे परंतु डीपीआई ने पूरी भर्ती प्रक्रिया को विभाजित कर दिया। ताजा मामला चॉइस फिलिंग का है। हाई कोर्ट में याचिका दाखिल हो गई है।
वेटिंग लिस्ट वालों को अचानक अप्वाइंटमेंट लेटर जारी कर दिए
उच्च न्यायालय जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार, कुछ उम्मीदवारों को अस्थाई प्रतीक्षा सूची में रखा गया था। उन्हें चयन प्रक्रिया में शामिल किया गया था और डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी हुआ था लेकिन नियुक्ति नहीं की गई थी। दिनांक 02/05/23 को 7500 पदों पर भर्ती हेतु, चयन हेतु, निर्देश जारी किए गए परंतु, अचानक ही आदेश दिनांक 27/10/22 के पालन में चयन प्रक्रिया में शामिल हुए, प्रतीक्षा में रखे गए अभ्यर्थियों के नियुक्ति आदेश, पदस्थापना करते हुए जारी कर दिए गए। प्रतीक्षा सूची में शामिल अभ्यर्थियों को, शाला विकल्प के चयन का कोई अवसर नहीं दिया गया है। जबकि, आदेश दिनांक 29/09/22 शाला काउंसलिंग एवम शाला विकल्प चयन ऑनलाइन तरीके से आज्ञापक है।
शासन के इस कृत्य से पीड़ित होकर, कोकिला रत्न भारती चौहान द्वारा, उच्च न्यायालय जबलपुर के समक्ष याचिका दायर दायर की गई है। उनके वकील श्री अमित चतुर्वेदी के अनुसार, एक ही प्रकार की भर्ती प्रक्रिया में शासन दो प्रकार के मापदंड नही अपना सकता है। आदेश दिनांक 02/5/23 के अनुसार कम अंक प्राप्त एवम रैंक में नीचे अभ्यर्थी प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति हेतु शाला चयन का विकल्प प्राप्त कर रहे हैं।
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