मध्य प्रदेश ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने सिविल जज भर्ती परीक्षा में पात्रता के संदर्भ में किए गए नवीन निर्धारण (बिना एटीकेटी के न्यूनतम 70% प्राप्तांक एवं इंटरव्यू में 50 में से 45 नंबर) का विरोध करते हुए अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है एवं मध्य प्रदेश सिविल जज भर्ती परीक्षा का आयोजन मध्य प्रदेश पीएससी के माध्यम से कराने की मांग की है।
मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम 1994, संशोधन 23 जून 2023
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट, जबलपुर की फुल कोर्ट मीटिंग में लिए गए निर्णय के अनुसार संविधान के अनुच्छेद 234 के प्रावधानों को दृष्टिगत रखते हुए राज्य शासन को की गई अनुशंसा पर राज्यपाल महोदय द्वारा संविधान के अनुच्छेद 309 की शक्तियों के तहत दिनांक 23 जून 2023 को मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम 1994 में व्यापक पैमाने पर संशोधन किए जा कर राजपत्र में प्रकाशित किए जा चुके हैं। उक्त संशोधन के नियम 7 में पात्रता में संशोधन करके सिविल जज की परीक्षा में केवल वही अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं जिन्होंने बिना एटीकेटी के विधि स्नातक 70% अंकों के साथ LLB उत्तीर्ण किया है या फिर जिन्होंने 3 साल वकालत का अनुभव प्राप्त किया है।
हाई कोर्ट द्वारा राज्य शासन से कराए गए उक्त संशोधन को मध्य प्रदेश ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने असंवैधानिक बताया है तथा उक्त संशोधन को मॉडिफाई कराने वास्ते राज्यपाल एवं चीफ जस्टिस महोदय को अभ्यावेदन प्रस्तुत किया है। एसोसिएशन ने मांग की है कि 3 वर्ष का अनुभव उचित है लेकिन बिना एटीकेटी के 70% का निर्धारण किया जाना विभेदक (discrimination) है एवं साक्षात्कार में 45% अंक अर्जित करने पर ही अभ्यर्थी चयनित होगा, उक्त शर्त अवैज्ञानिक है क्योंकि साक्षात्कार में निर्धारित 50 अंकों में से 20-25 अंक अर्जित करना अभ्यर्थी के क्षेत्राधिकार में नहीं है बल्कि लोकतंत्र साक्षात्कार समिति की मर्जी पर निर्भर करते हैं।
एसोसिएशन ने कहा कि यदि संशोधन को निर्धारित समय सीमा 15 दिवस के भीतर मॉडिफाई नहीं किया जाता है तो इसके विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की जाएगी। एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट तथा राज्य शासन सहित लोक सेवा आयोग को पत्र लिखकर यह भी सुझाव दिया है कि सिविल जज परीक्षा का आयोजन हाईकोर्ट के बजाय लोक सेवा आयोग से कराया जाए ताकि उक्त भर्तियों में स्पष्ट रूप से पारदर्शिता बनी रहे।
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