MPPSC NEWS- 2020 से 2022 तक सभी परीक्षाओं के रिजल्ट भानु प्रताप याचिका के अध्याधीन: हाई कोर्ट

Bhopal Samachar
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Madhya Pradesh Public Service Commission Indore- SSE result high Court news 

मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय ने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा 2020 से लेकर 2022 तक के सभी परीक्षा परिणाम भानु प्रताप सिंह तोमर द्वारा प्रस्तुत की गई याचिका के निर्णय के अध्याय अधीन कर दिए हैं। इस याचिका में परीक्षा के हर स्तर पर आरक्षित उम्मीदवारों को माइग्रेशन का लाभ देने की प्रक्रिया को विधि विरुद्ध बताया गया है। 

मध्य प्रदेश सिविल सर्विस रूल 2015 के संशोधन को चुनौती

श्री भानु प्रताप सिंह तोमर जबलपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल करते हुए दिनांक 20 दिसंबर 2021 को, मध्य प्रदेश सिविल सर्विस रूल 2015 में किए गए संशोधन को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री मनोज शर्मा एवं अंशुल तिवारी ने न्यायालय में दलील प्रस्तुत करते हुए बताया कि मध्य प्रदेश सिविल सर्विस रूल 2015 (संशोधन दिनांक 20 दिसंबर 2021) का पालन करते हुए मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा राज्य सेवा परीक्षा 2020 एवं अन्य सभी परीक्षाओं में हर स्तर पर (प्रारंभिक परीक्षा, मुख्य परीक्षा एवं साक्षात्कार) आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को माइग्रेशन का लाभ दिया जा रहा है। अधिवक्ताओं ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के विभिन्न न्यायिक दृष्टांत के तहत यह अवैधानिक है। 

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विद्वान न्यायाधीश चीफ जस्टिस श्री रवि मलिमथ एवं जस्टिस श्री विशाल मिश्रा की खंडपीठ में इस मामले में मध्यप्रदेश शासन, विधि एवं विधाई कार्य विभाग के प्रमुख सचिव, सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव और मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के सचिव को अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अवसर दिया है। इसके साथ ही उपरोक्त सभी परीक्षाओं के परिणाम जिसमें आरक्षित उम्मीदवारों को एक से अधिक चरण में माइग्रेशन का लाभ दिया गया है, इस याचिका के निर्णय के अध्याधीन घोषित कर दिया है। 

भर्ती परीक्षा में आरक्षित उम्मीदवारों को माइग्रेशन का लाभ क्या होता है

परीक्षा में आरक्षित उम्मीदवार यदि अपनी कैटेगरी की मेरिट लिस्ट में आ जाता है और उसके प्राप्तांक अनारक्षित उम्मीदवारों के प्राप्तांक के समान या उनसे अधिक होते हैं तब ऐसी स्थिति में उस उम्मीदवार को अनारक्षित श्रेणी में शामिल कर लिया जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने दो श्रेणियों का निर्धारण किया है। पहली 50% योग्य उम्मीदवारों की श्रेणी और दूसरी 50% आरक्षित उम्मीदवारों की श्रेणी। यदि कोई आरक्षित उम्मीदवार स्वयं को योग्य साबित कर देता है तो फिर उसे अनारक्षित उम्मीदवारों की श्रेणी में शामिल कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया को माइग्रेशन कहते हैं। 

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