Madhya Pradesh Government employees news- promotion Mein Aarakshan
प्रमोशन में आरक्षण की ज़िद ठाने बैठी शिवराज सिंह चौहान सरकार ने आरक्षित वर्ग के कर्मचारी एवं अधिकारियों का बड़ा नुकसान करवा दिया। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है इसलिए आरक्षित पदों पर नियुक्ति नहीं की जा सकती और मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने शासन को निर्देशित किया है कि अनारक्षित पदों पर प्रमोशन से नियुक्ति करके रिपोर्ट पेश करें। इसके साथ यह भी कहा है कि, इस निर्देश के पालन के लिए कोई अतिरिक्त मोहलत नहीं दी जाएगी।
मध्यप्रदेश में प्रभारी सिस्टम के खिलाफ हाई कोर्ट का निर्णय
मामला मध्य प्रदेश के तमाम मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक के रिक्त पदों पर नियुक्ति का है। मध्य प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में अधीक्षक के पद पर किसी प्रभारी अधिकारी की नियुक्ति की गई है। यह स्थिति सन 2016 से बनी हुई है। हाईकोर्ट में नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के चेयरमैन डॉक्टर पीजी नाथ पांडे की ओर से याचिका प्रस्तुत की गई थी। याचिका में बताया गया कि प्रभार होने के कारण अधिकारियों को अपनी मूल पदस्थापना की जनता करनी पड़ती है। इसलिए अधीक्षक पद पर पूरा समय नहीं दे पाते।
इस मामले में मध्यप्रदेश शासन की ओर से हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि प्रमोशन में आरक्षण का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और अधीक्षक के प्रमोशन से ही भरे जा सकते हैं इसलिए अधीक्षक के सभी पदों पर प्रभारी की नियुक्ति करनी पड़ी। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विद्वान मुख्य न्यायाधीश श्री रवि मलिमथ एवं विद्वान न्यायमूर्ति श्री विशाल मिश्रा की युगल पीठ ने शासन को निर्देशित किया कि आरक्षित पदों को छोड़कर शेष सभी पदों पर प्रमोशन से नियुक्ति की जाए।
इसके लिए 2 सप्ताह का समय दिया गया और यह भी स्पष्ट किया गया है कि आदेश का पालन करने हेतु शासन को कोई अतिरिक्त मोहलत नहीं दी जाएगी।
आरक्षित वर्ग के अधिकारियों को नुकसान
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के इस आदेश के बाद उन सभी पदों पर नियुक्ति के दरवाजे खुल गए जिन पर प्रमोशन से नियुक्ति होनी है और फिलहाल किसी अधिकारी को उस पद का प्रभार दिया गया है। आरक्षित वर्ग के अधिकारियों को नुकसान होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में निर्णय आने तक उनके प्रमोशन स्थगित रहेंगे।
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