भीमबेटका के बारे में रोचक तथ्य- amazing facts in Hindi about bheembetaka

भीमबेटका क्यों प्रसिद्ध है 

क्योंकि इस स्थान को मानव जाति के विकास के प्रारंभिक चरण का स्थान माना जाता है। यही वह स्थान है जहां से पता चला कि प्राचीन काल में मनुष्य गुफाओं में रहता था। यह गुफाएं करीब 30,000 साल पुरानी है और गुफाओं की दीवारों पर कुछ चित्र बने हुए हैं जो यह बताते हैं कि अपने पूर्वज 30,000 साल पहले समझदार हो गए थे और आने वाली पीढ़ी के लिए दीवारों पर संकेत और संदेश लिखने लगे थे। ताकि हर नई पीढ़ी विकास कर सके। मनुष्य और जानवरों में यही अंतर होता है। जानवर अपना इतिहास नहीं लिखते और उसके आधार पर भविष्य की योजना नहीं बन पाती। यह दुनिया की एकमात्र जगह है जहां पर मनुष्य प्रजाति के विकास का क्रम शुरू होता है। 

भीमबेटका कहां स्थित है, कैसे पहुंचे

भीमबेटका (भीमबैठका) भारत देश के मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है। यह मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से मात्र 45 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व दिशा में है और सड़क मार्ग से यहां तक पहुंचना काफी आसान है। लोकल कंवेंस भी मिल जाता है। हवाई, रेल या सड़क मार्ग से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल पहुंचे और यहां से मात्र 1 की सड़क यात्रा करके भीमबेटका पहुंच जाएंगे। 

भीमबेटका की खोज किसने की 

भीमबेटका की खोज सन 1957-58 में डॉ विष्णु श्रीधर वाकणकर द्वारा की गई थी। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भोपाल मंडल ने अगस्त 1999 में भीमबेटका को राष्ट्रीय महत्व का स्थल घोषित किया और जुलाई 2003 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर की सूची में शामिल किया। यहां पर नृत्य, संगीत, आखेट यानी शिकार करना, घोड़े और हाथियों की सवारी, आभूषण, शहद जमा करना, बाघ, सिंह, जंगली, सूअर, हाथियों, कुत्तों और घड़ियाल जैसे जानवरों की चित्र बनाए गए हैं। इस प्रकार 30,000 साल पहले हमारे पूर्वजों ने बता दिया था कि किसका शिकार करना है और किस जानवर का पालन पोषण कर के अपने विकास में शामिल करना है। यह भी बता दिया था कि कौन सा जानवर किस काम में लाया जा सकता है। यहां तक कि महिलाओं के श्रंगार की परंपरा भी शुरू हो गई थी। 

भीमबेटका का रहस्य 

भीमबेटका का ऐसा कोई रहस्य नहीं है जो भय उत्पन्न करता हो। एक मान्यता है कि पांडव वनवास के दौरान यहां आए थे और कुछ समय तक पांडवों ने यहां निवास किया। उस दौरान भीम पहरेदारी पर बैठा करते थे। इसलिए इस स्थान का नाम भीमबैठका पुकारा जाने लगा। लोगों को सन 1957 में जाकर पता चला कि पांडवों से पहले भी यहां पर मनुष्य रहा करते थे और यह तो मनुष्यों का 30,000 साल पुराना मोहल्ला है। 

भीमबेटका का महत्व 

मानव जाति के लिए भीमबेटका कितना इंपॉर्टेंट है इसका अनुमान आप केवल इस बात से लगा सकते हैं कि 1 अप्रैल 2023 को नई दिल्ली से भोपाल भारत वंदे एक्सप्रेस ट्रेन का लोकार्पण करते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि, इस ट्रेन से सबसे ज्यादा मदद मिलेगी की दुनिया भर के लोग दिल्ली से सीधे भोपाल आकर  सांची स्तूप, भीमबेटका, भोजपुर और उदयगिरी जैसे स्थानों तक आसानी से पहुंच पाएंगे। क्योंकि दुनिया भर के लोग भीमबेटका आना चाहते हैं और अपने पूर्वजों के संकेतों को अपनी आंखों से देखना चाहते हैं। समझना चाहते हैं। आने वाली समस्याओं के समाधान खोजना चाहते हैं।

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