Rojgar Samachar MP- वर्ग 1 एवं 2 के 250 शिक्षकों को चॉइस फिलिंग मामले में हाई कोर्ट का स्टे आर्डर

जबलपुर
। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के उस आदेश को स्थगित कर दिया है जिसमें उन्होंने जनजातीय कार्य विभाग की नियुक्ति प्रक्रिया में शामिल किए गए उच्च माध्यमिक शिक्षक एवं माध्यमिक शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग में चॉइस फिलिंग के अधिकार से प्रतिबंधित कर दिया गया था। इस आदेश का लाभ याचिका प्रस्तुत करने वाले 250 उम्मीदवारों को मिलेगा। सभी उम्मीदवार स्कूल शिक्षा विभाग में चॉइस फिलिंग कर पाएंगे।

मध्य प्रदेश शासन के जनजातीय कार्य विभाग में चयनित और नियुक्त शिक्षकों को स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति  एवम चॉइस फिलिंग से वंचित या अपात्र किए जाने के विरूद्ध श्री विवेक राठौर एवम 229 अन्य माध्यमिक शिक्षकों एवम मनोज सोनी, उच्च माध्यमिक शिक्षक एवम लगभग 80 माध्यमिक शिक्षकों ने उच्च न्यायालय जबलपुर में स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के विरूद्ध रिट याचिका दायर की थी। 

उच्च माध्यमिक शिक्षकों की ओर से पैरोकार उच्च न्यायालय जबलपुर के वकील श्री अमित चतुर्वेदी एवम श्री अमर प्रकाश गुप्ता ने आज सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को बताया कि दोनों विभागों के भर्ती नियमों एवं अन्य संशोधित भर्ती नियमों एवम चयन प्रक्रिया को शासित करने वाले आदेशों में ऐसा कोई प्रतिबंध नही है कि आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा विभाग में नियुक्ति हेतु पात्र नही है। अतः शासन का यह कार्य संविधान के अनुच्छेद 14  एवम 16 उल्लंघन है। ट्राइबल डिपार्टमेंट में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा के विभागीय आदेशों के पालन में ही चयन प्रक्रिया में शामिल हुए थे।

आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षकों को, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति प्राप्त करने हेतु, वैध पात्र होने के उपरांत भी, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति हेतु अपात्र करना, एक कृत्रिम वर्ग का  निर्माण करना है, जिससे संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है जो कृत्रिम वर्गीकरण को निषिद्ध करता है। मेरिट सूची में उच्च स्थान प्राप्ति के बाद, ऐसा कोई नियम नहीं है, जिससे आदिवासी विकास में नियुक्त शिक्षक, स्कूल शिक्षा में नियुक्ति से वंचित किए जा सकें।  

सुनवाई के बाद, उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने शासन से जवाब तलब करते हुए, रामेश्वर डांगी एवम अन्य को चॉइस फिलिंग में भाग दिए जाने का अंतरिम आदेश पारित किया है। साथ ही यह आदेश दिया है की कोर्ट की अनुमति के बिना परिणाम घोषित नही किए जावे। कोर्ट का आदेश सिर्फ याचिका कर्ताओं के लिए है। 

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