भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कमिश्नर, कलेक्टर और जगदीशपुरा से संबंधित सभी जनप्रतिनिधियों को निर्देशित किया है कि वह एक मास्टर प्लान तैयार करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि जगदीशपुरा को ऐसा बनाया जाएगा कि लोग देखते रह जाएंगे। सनद रहे कि जगदीशपुरा की कहानी भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करने योग्य है परंतु इतिहासकारों के अभाव में ऐसा हो ना सका।
भोपाल के जगदीशपुरा का इतिहास
सन 1715 से पहले जगदीशपुरा एक शक्तिशाली, संपन्न और शांतिप्रिय राज्य था। भोपाल का तो कोई नामोनिशान ही नहीं था। राजपूत राजा नरसिंह देवड़ा एक वीर, न्याय प्रिय और दयालु राजा थे।
दोस्त मोहम्मद खान उर्फ दोस्त खान,
नाम बड़ा अच्छा लगता है परंतु काम बिल्कुल उल्टे थे। मूल रूप से अफगानिस्तान का एक शातिर अपराधी था जो अपना गिरोह बनाना चाहता था। वहां तो सफल नहीं हो पाया तो मुगलों ने उसे भारत भेज दिया। मुगलों के लिए काम करते समय ही वह मालवा आया था। वफादारी के प्रश्न पर मुगलों ने उसे निकाल दिया था।
सन 1715 में जगदीशपुर पर हमला और इस्लाम नगर की स्थापना
दोस्त खान और उसका गिरोह भूखा मरने की नौबत पर आ गए। गुजर-बसर के लिए कुछ तो करना था। जगदीशपुर के राजा नर सिंह देवड़ा दयालु थे, दोस्त खान ने उन्हें कमजोर समझा और हमला कर दिया लेकिन राजा नरसिंह देवड़ा के सामने टिक नहीं पाया। बुरी तरह पराजित हो गया और उसके हथियार भी राजा साहब ने जप्त कर लिए।
फिर माफी मांगने के बहाने राजा नरसिंह देवड़ा को एकांत में बुलाया और धोखे से उनकी हत्या कर दी। जगदीशपुर पर कब्जा कर लिया और उसका नाम बदलकर इस्लामनगर रख दिया। इस प्रकार भोपाल के नवाब परिवार और इस्लाम नगर की स्थापना हुई। सन 1715 में गुलाम (इस्लामनगर) हुआ जगदीशपुरा 1 फरवरी सन 2023 में आजाद (जगदीशपुर) हुआ है। अब सरकार से एक ऐतिहासिक पर्यटक स्थल बनाने का प्रयास कर रही है। बाकी दुनिया को पता चल सके कि भोपाल, नवाब का क्रिएशन नहीं है बल्कि एक भाड़े का हत्यारा धोखे से कब्जा करके नवाब बन बैठा था।