जबलपुर। सरकारी सिस्टम में लोगों को प्रताड़ित करने की इंतहा देखिए। एक व्यक्ति को 28 साल पहले नियुक्ति पत्र दिया गया लेकिन जब मैं ऑफिस में ज्वाइन करने पहुंचा तो काम नहीं दिया, रजिस्टर पर नाम नहीं लिखा। 28 साल बीत गए, नीचे से लेकर हाई कोर्ट तक लड़ाई लड़ते-लड़ते। अब उच्च न्यायालय ने ज्वाइनिंग का आर्डर जारी किया है। सवाल यह है कि एक व्यक्ति को 28 साल तक प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों को दंड कब मिलेगा।
Northern Coalfields Limited - Singrauli का मामला
मामला सिंगरौली का है। जबलपुर स्थित मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में विद्वान न्यायमूर्ति श्री विवेक अग्रवाल की एकल पीठ के समक्ष दोनों पक्षों ने अपनी दलील प्रस्तुत की और विद्वान न्यायमूर्ति द्वारा फैसला सुनाया गया। याचिकाकर्ता सिंगरौली निवासी राजेंद्र प्रसाद वर्मा एवं उनके अधिवक्ता अरविंद पाठक। जिसके खिलाफ याचिका प्रस्तुत हुई Northern Coalfields Limited - Singrauli है।
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी नौकरी नहीं दी
याचिकाकर्ता के वकील ने हाईकोर्ट में बताया कि एनसीएल ने 1982 में याचिकाकर्ता की जमीन अधिग्रहीत की थी। इसके बदले मुआवजा दिया गया, साथ ही सेवा में भी रखा गया। एनसीएल ने 1994 में नियुक्ति पत्र तो जारी कर दिया, किंतु उसे अब तक काम करने से वंचित रखा गया। इससे पहले वर्ष 2009 में भी हाई कोर्ट ने निर्देश दिए थे, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो 2011 में पुन: याचिका दायर की गई।
NCL के अधिकारी 28 साल तक बहाने बनाकर परेशान करते रहे
एनसीएल की ओर से पहले तर्क दिया गया कि अधिग्रहीत की गई जमीन में याचिकाकर्ता का नाम बाद में जोड़ा गया। इस पर याचिकाकर्ता ने एनसीएल का मुआवजा और नियुक्ति पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया। बाद में एनसीएल ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई विजिलेंस में मामला लंबित है। याचिकाकर्ता की ओर से वो दस्तावेज भी पेश किया, जिसमें विजिलेंस का कोई मामला नहीं पाया गया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने नौकरी के साथ बैकवेजेस का आदेश जारी किया
सुनवाई के बाद कोर्ट ने NCL के मैनेजमेंट के प्रति नाराजगी जाहिर की। सवाल किया कि पिछले 28 साल में उम्मीदवार की अभ्यावेदन का निराकरण नहीं किया गया बल्कि उसे लंबित रखा गया है। कोर्ट ने 60 दिन के भीतर नियुक्ति पत्र के आधार पर नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसके अलावा याचिकाकर्ता को विगत 28 वर्ष से संबंधित सभी पूर्व लाभों (बैकवेजेस) सहित नियुक्ति प्रदान जाए।