मध्य प्रदेश। ग्वालियर जिले में ब्रेन हेमरेज के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है। यह आंकड़ा केवल JAH GWALIOR का है। प्राइवेट अस्पतालों में इससे अधिक संख्या हो सकती है। डॉक्टरों का कहना है कि ठंड के मौसम में अचानक परिवर्तन आया और लोगों ने उसे गंभीरता से नहीं लिया। यही कारण है कि लोग सर्दी खांसी जुकाम से लेकर ब्रेन हेमरेज तक का शिकार हो रहे हैं।
ठंड के मौसम में ब्रेन हेमरेज का खतरा किसको होता है, डॉ गुप्ता ने बताया
जयारोग्य चिकित्सालय न्यूरोलॉजी के डॉ. अरविन्द गुप्ता का कहना है कि आम दिनों में न्यूरोलॉजी में तीन से चार मरीज ही ब्रेन हेमरेज के आते थे, लेकिन अब इनकी संख्या प्रतिदिन 8 पहुंच गई है। इसके आलवा आने वाले कुछ दिनों में ब्रेन हेमरेज के मरीज तेजी से बढ़ेंगे। उन्होंने यह भी बताया कि सर्दियों में रक्त का संचार कम हो जाता है। इसलिए बुजुर्ग लोगों से भी अपेक्षा की जाती है कि वे शारीरिक गतिविधियां करते रहें, लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि अधिक सर्दी में वह बाहर कम निकलें। सुबह की सैर थोड़ा देर से शुरू करें। बैठे-बैठे भी हाथ-पांच चलाते रहें। खास कर जिन लोगों को बीपी की समस्या है, उनमें ब्रेन हेमरेज की आशंका काफी ज्यादा है।
ठंड के मौसम में ब्रेन हेमरेज क्यों होता है
- विशेषज्ञों के मुताबिक ठंड के दिनों में खून में गाढ़ा पन आ जाता है। साथ ही ठंड की वजह से शरीर की नशें भी सिथिल हो जाती हैं। ऐसे में यदि ब्लडप्रेसर बढ़ता है तो ब्रेन हेमरेज होने का खतरा अधिक रहता है।
- ब्रेन हेमरेज का खतरा सबसे अधिक ब्लडप्रेसर की बीमारी वाले मरीजों को अधिक रहता है। क्योंकि ठंड के दिनों में खून गाढ़ा रहता है और जब ब्लड का प्रेसर बढ़ता है तो ब्रेन हेमरेज होने का खतरा बढ़ जाता है।
ब्रेन हेमरेज से बचने के लिए क्या करें
- ठंड के दिनों में यदि बाहर निकलते हैं तो सिर को ढक कर निकले। जिससे ठंड व ठंडी हवाओं का असर अधिक न हो।
- यदि एक जगह बैठे हैं तो हाथ पैरों को चलाते रहें। जिससे नसों में मूवमेंट बनी रहे और शरीर की नशों में रक्तप्रवाह बना रहे।
- जिन लोगों को ब्लडप्रेसर या खून गाढ़ा होने की शिकायत है तो वे डॉक्टर से संपर्क कर उपचार व दवाएं ले लें। जिससे ठंड के दिनों में खून का पतला रखने से ब्रेमहेमरेज की शिकायत कम होती हैं।