भारत में सभी व्यक्तियों को अपने अपने अनुसार धर्म मानने का अधिकार प्राप्त है यह सारे अधिकार व्यक्तियों के संवैधानिक अधिकार है एवं कोई भी सरकार या व्यक्ति विशेष इन अधिकारों को छीन नहीं सकता है।
आज हम बात करते हैं धार्मिक सम्प्रदाय के व्यक्तियों के अनुष्ठान के बारे में जैसे कि पूजा करना, अर्चना, आराधना, ईद पर मेला, नमाज, क्रिसमस, जैन-धर्मिक समारोह आदि विषयों पर प्रावधान करने का अधिकार उक्त धार्मिक समुदाय के व्यक्ति का एक मौलिक अधिकार है जानिए।
भारतीय संविधान अधिनियम,1950 के अनुच्छेद 26(ख) की परिभाषा
प्रत्येक धार्मिक सम्प्रदाय को अपने-अपने धर्म-विषयक कार्यो का अनुष्ठान या प्रबंध करने का अधिकार प्राप्त है। साधारण शब्दों में अगर कहे तो हिंदू धर्म के अनुसार देवता को भोग चढ़ाना, यज्ञ एवं हवन करना, भजन कीर्तन करना, समय-समय पर समारोह आयोजन आदि करना।
नोट:- राज्य सरकार इस अधिकार पर केवल लोक व्यवस्था,लोकशान्ति, सदाचार एवं स्वास्थ्य के आधार पर भी प्रतिबंधित कर सकती है अन्यथा राज्य सरकार को इस अधिकार पर हस्तक्षेप करने का कोई संवैधानिक अधिकार नहीं है।
✍️ लेखक बीआर अहिरवार(पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665