नामीबिया के चीतों की नागरिकता बदल गई है। अब वह भारतीय हो गए हैं और उनका परमानेंट ऐड्रेस कूनो नेशनल पार्क जिला श्योपुर मध्य प्रदेश है। यहां पर उन्हें 2 रातें और 3 दिन हो चुके हैं। वह न केवल पूरी तरह से फिट हैं बल्कि दबाकर मांस खा रहे हैं और बिंदास घूम रहे हैं।
सोमवार सुबह 8.45 बजे जब चिकित्सकों की टीम ने चीतों का परीक्षण किया तो पूरी तरह स्वस्थ पाए गए। एक चीते ने औसतन चार किलो मांस खाया है। चीतों के चेहरे पर शिकन की एक लकीर नहीं दिखाई दी बल्कि नए जंगल को पहचानने की कोशिश कर रहे हैं। वह खुश है क्योंकि उन्हें अपना नया इलाका मिल गया है। इनमें दो चीते सगे भाई हैं। दोनों एक साथ रहते हैं। काफी आलसी हैं। अक्सर आराम करते रहते हैं।
दोपहर 12.15 बजे चीतों को भोजन में भैंस का मांस दिया गया। लंच करने के बाद चीतों ने हौद में जमकर पानी पिया और अपने बाड़े में टहलते रहे। कूनो नेशनल पार्क मैनेजमेंट का कहना है कि चीतों के व्यवहार में प्रतिदिन थोड़ा परिवर्तन दिखाई देगा। रुटीन चेकअप व भोजन मेें अभी किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं देखी जा रही है। उम्मीद है कि चीते कूनों के वातावरण में जल्द ही घुल-मिल जाएंगे। एक माह तक भैंस का मांस देने केबाद उन्हेें बड़े बाड़े में छोड़ा जाएगा, जहां उन्हें भोजन के लिए चीतल मिलेंगे।
मायके के लोग भी मौजूद है, सब देखभाल कर रहे हैं
कूनो मेें चार बाड़ों में एक-एक चीता है, जबकि दो बाड़ों में 2-2 चीते हैं। 30 मीटर और 25 मीटर के इन बाड़ो में चीतों के लिए सारी सुविधाएं मौजूद हैं। निगरानी में नामीबिया के विशेषज्ञ भी मौजूद हैं। देखरेख का प्रशिक्षण लेकर आए वनकर्मी भी दो-दो की संख्या में ड्यूटी दे रहे हैं। बिना अनुमति विभागीय लोगों को भी बाड़े की तरफ आने नहीं दिया जा रहा है।
इनका कहना है
चीतों के रहन-सहन पर विशेष निगरानी रखी जा रही है। चिकित्सकों की टीम दूर से चीतों की गतिविधियों को देखकर उनके स्वास्थ्य का पता लगा रही है। सुबह रुटीन चेकअप किया गया। चीतों ने पर्याप्त खाना खाया। अलग-अलग बाड़े में चीतों के मस्ती भरे दृश्य देखकर निगरानी कर रहे विशेषज्ञ संतुष्ट हैं।
- पीके वर्मा, डीएफओ, कूनो वन मंडल श्योपुर।