न्यायालय किस कानून के अंतर्गत अनुवादक को बुलाने के लिए बाध्य होगा जानिए- CrPC 282

हिंदी में अनुवादक, अंग्रेजी में Translator और कानूनी भाषा में दुभाषिया कहा जाता है। यह एक ऐसा भाषा विशेषज्ञ होता है जो एक से अधिक भाषाओं का ज्ञाता होता है और दो विभिन्न भाषाओं वालों के बीच कम्युनिकेशन को सरल बनाने का काम करता है। भारत में संविधान ने 22 भाषाओं को मान्यता दी है। अतः कोर्ट की कार्रवाई में अनुवादक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

न्यायालय की भाषा राज्य की भाषा पर आधारित होती है। यदि कोई दूसरी भाषा का व्यक्ति बयान देता है तो न्यायालय को उसकी भाषा में सुनकर अपनी भाषा में रिकॉर्ड करना होता है और जब वापस उसे बयान पढ़कर सुनाया जाता है तो उसी की भाषा में सुनाना पड़ता है। कुल मिलाकर दुभाषिया के बिना यह संभव नहीं होता।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 282 की परिभाषा

जब किसी साक्ष्य या कथन को समझने के लिए अनुवाद सेवा की आवश्यकता होगी तब दण्ड न्यायालय द्वारा अपेक्षा की जाती है कि वह दुभाषिया द्वारा ऐसे साक्ष्य या बयान या कथनों का ठीक प्रदान से भाषान्तर करने के लिए बाध्य होगा। साधारण शब्दों में कहे तो यह धारा किसी भी भाषा में दिये गए साक्षी या आरोपी के बयान, कथन, साक्ष्यों को अनुवाद करने के लिए बाध्य होगी। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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