MP NEWS- कलेक्टर-एसडीएम को फिर मिले जन्म मृत्यु प्रमाण पत्र की जांच के अधिकार

ग्वालियर
। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच ने फरवरी 2022 में दिए गए अपने उस आदेश को स्थगित कर दिया है जिसमें कार्यपालिक मजिस्ट्रेट (जिन्हें आम नागरिक कलेक्टर अथवा एसडीएम के नाम से जानते हैं) को 1 साल पुराने जन्म अथवा मृत्यु प्रमाण पत्र की जांच करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया गया था। यह अधिकार जेएमएफसी (प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी) के पास घोषित किया गया था। 

गुरुवार को शासन की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने कहा कि अगली सुनवाई तक जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र के संबंध में दिए गए आदेश को स्टे किया जाता है। अब पहले की तरह कार्यपालिक मजिस्ट्रेट जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र जांच सकेंगे।

अतिरिक्त महाधिवक्ता डाॅ. एमपीएस रघुवंशी ने बताया कि कल्लू खान की अपील को खारिज करते हुए जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक की डिवीजन बेंच ने कहा था कि जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1969 के सेक्शन -13(3) के अनुसार एक साल की अवधि बीतने के बाद पंजीकृत हुए जन्म व मृत्यु प्रमाण पत्र की सत्यता जांचने का अधिकार केवल प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी को है।

वहीं, गुरुवार को शासन की ओर से बताया गया कि याचिकाकर्ता ने जन्म तथा मृत्यु पंजीयन नियम-1999 के नियम 9 को असंवैधानिक ठहराने की प्रार्थना नहीं की थी। नियम 9 के अनुसार रजिस्ट्रार को प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार दिया गया है।

सुनवाई के दौरान धारा-32 का भी हवाला दिया गया, जिसमें ये बताया गया कि यदि नियमों में कोई समस्या आए तो उसके निराकरण के लिए मप्र शासन, केंद्र शासन से सलाह लेकर नियम बना सकती है। ये नियम भी केंद्र शासन से सलाह लेकर बनाए हैं। उनके तर्क से सहमति जताते हुए कोर्ट ने इस आदेश पर फौरी रोक लगा दी। 

यहां बता दें कि जन्म व मृत्यु के एक साल की भीतर प्रमाण पत्र जारी करने का अधिकार रजिस्ट्रार को दिया गया है। एक साल की अवधि बीतने के बाद भी प्रमाण पत्र रजिस्ट्रार के द्वारा ही जारी किए जाते हैं, लेकिन उनकी सत्यता जांचने का अधिकार केवल कार्यपालिक मजिस्ट्रेट के पास रहता है। उनके सत्यापन के बाद ही प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं।

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