सन 1957 में TAX चुनावी मुद्दा था, जिसने टैक्स माफी का वादा किया वह जीत गया- INDORE NEWS

Bhopal Samachar
इंदौर
। बहुत सारे लोगों को समझ में नहीं आएगी लेकिन बात बड़ी गंभीर है। सन 1957 में जब आटे में नमक के बराबर टैक्स लगाया जाता था, ज्यादातर लोग शिक्षित नहीं थे। भोले भाले थे, समझदार नहीं थे तब एक टैक्स चुनावी मुद्दा बन गया था। जनता अन्याय पूर्ण टैक्स के खिलाफ इस कदर लामबंद थी कि जिस प्रत्याशी ने टैक्स माफी का वादा किया वह सन 1957 का इंदौर नगर निगम का चुनाव जीत गया था।

इंदौर में चलने वाले दोपहिया और चार पहिया वाहनों पर टैक्स लगता है, यह सभी के लिए सामान्य बात है, लेकिन इंदौर में ऐसा भी वक्त था जब पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की संख्या न के बराबर थी और साइकिलें चला करती थीं। तब साइकिल पर टैक्स लगता था। यह वह दौर था जब इंदौर में छह कपड़ा मिलें हुआ करती थीं। मिलों में 15 हजार से ज्यादा मजदूर काम करते थे जो साइकिल चलाते थे। तब इंदौर में 30 हजार से ज्यादा साइकिलें थीं। इन पर सालाना टैक्स लगता था। 

यह एक रुपये से भी कम होता था, लेकिन तब के गरीब मजदूरों को यह भी बहुत लगता था। उस दौर में एक रुपया भी बहुत कीमत रखता था। तब मिल क्षेत्र में कामरेड होमी दाजी प्रभावी नेता के रूप में उभर रहे थे। वर्ष 1957 के विधानसभा चुनावों में होमी दाजी ने बड़ी जीत दर्ज की थी। इससे दाजी और उनके समर्थक जोश में थे। समर्थकों के साथ चर्चा के बाद होमी दाजी ने नागरिक मोर्चा का गठन किया और वर्ष 1958 के चुनावों में उम्मीदवार उतारे। इनके सामने कांग्रेस और जनसंघ की चुनौती थी।
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