कहते हैं की बच्चे दिल के बहुत कमजोर होते हैं बचपन में ही इनके अंदर अगर किसी चीज का डर बैठा दिया जाए तो बडे तक उन्हें उस चीज से डर लगता है इसी को ध्यान में रखते हुए किशोर न्याय अधिनियम, 2015 में बच्चों के हितों के लिए बहुत से नियम बनाए गए हैं। आज हम जिस अपराध की बात कर रहे हैं वह अपराध बच्चों के साथ अगर होता है तो वह मानसिक रूप से कमजोर हो सकता है। जानिए क्या है वह अपराध।
किशोर न्याय (बालकों की देख रेख एवं संरक्षण) अधिनियम, 2015 की धारा 75 की परिभाषा
अगर कोई व्यक्ति, संरक्षक, कोई सामाजिक संस्था संचालक (होस्टल, बाल गृह आदि) किसी बालक (किशोर) के साथ क्रूरता का व्यवहार करेगा, उस पर हमला करेगा, उसे गृह निवास से भगाएगा, उसे उत्पीड़न करेगा या किसी भी प्रकार से डॉटेगा जिससे उसके अंदर डर बैठ जाए तब ऐसा करने वाला व्यक्ति अधिनियम की धारा 75 के अंतर्गत दोषी होगा।
JJ Act 2015 की धारा 75 के तहत दण्ड का प्रावधान
1. जानबूझकर कर बिना गलती के उत्पीड़न, हमला करने वाले, क्रूरता, या निवास से निकालने वाले व्यक्ति को अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या एक लाख रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है।
2. अगर यही अपराध किसी किसी संगठन, संस्था, होस्टल के द्वारा प्रबंधक या कर्मचारियों द्वारा किया जाता है तब ऐसे व्यक्ति को अधिकतम पाँच वर्ष की कारावास एवं पाँच लाख रुपए जुर्माना से दण्डित किया जाएगा।
3. अगर व्यक्ति या संरक्षक संस्था आदि की क्रूरता, उत्पीड़न, हमला आदि के कारण बालक की किसी भी प्रकार की क्षति होती है या किसी भी प्रकार से मानसिक, शारीरिक बीमार (रोग ग्रस्त) हो जाए किसी भी प्रकार से अंगभंग हो जाए या कोई खतरा आदि उत्पन्न हो जाये तब ऐसे व्यक्ति को अधिकतम दस वर्ष की कारावास और पाँच लाख रुपए के जुर्माने से दण्डित किया जाएगा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665