मोटर यान अधिनियम, 1988 की धारा 66 के अनुसार मोटर वाहन के स्वामी को किसी सार्वजनिक स्थान में परिवहन वाहन के उपयोग के लिए शर्तो के अनुसार परमिट लेना होगा। यात्री वाहनों का परमिट सीमा शर्तो के अनुसार दिया जाएगा अर्थात जो एक ठेका (संविदा) के अनुसार प्राधिकृत किया जाएगा। माल वाहन का उपयोग परमिट की शर्तों के अधीन या वाहन स्वामी को दिए लाइसेंस के अनुसार किया जाएगा। यात्री वाहन को कुछ शर्तों के अनुसार माल ले जाने की छूट होगी लेकिन माल-वाहन परमिट धारक को यात्रियों को ले जाने की अनुमति नहीं होगी।
अधिनियम की धारा 66 की उपधारा (3) के अनुसार निम्न वाहन को परमिट की आवश्यकता नही है जानिए:-
• केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार के उपयोग में लाया गया हो।
• कोई स्थानीय अधिकारी की संविदा पर लाया गया हो जैसे नगरपालिका, परिषद के साफ़ सफाई वाहन आदि।
• ऐसा वाहन जो पुलिस बल, एम्बुलेंस, अग्निवाहन, शवों के परिवहन हेतु शववाहन या कोई खराब, (बिगड़ा) वाहन आदि।
• किसी सार्वजनिक प्रयोजन के लिए राज्य सरकार द्वारा वैध हो।
• ऐसा कोई माल वाहन जिसका सकल वजन भार तीन हजार किलोग्राम से अधिक न हो।
• ऐसा वाहन जो बाढ़, भूकंप, या अन्य प्राकृतिक आपदा के लिए भेजा गया हो।
• कोई वाहन जो खाली हैं और मरम्मत के लिए किसी अन्य स्थान पर ले जाया जा रहा हो।
• ऐसा नियम के अंतर्गत वाहन जो राज्य सरकार द्वारा सड़क परिवहन को नियंत्रण करने की शक्ति द्वारा बनाया गया है या अधिनियम की धारा 88 क के अनुसार केंद्रीय सरकार की राष्ट्रीय एवं अंतर्राज्य यात्रियों और माल के परिवहन के उपयोग में बनाये गए नियम आदि।
अर्थात सामान्य शब्दों में बताए तो राज्य सरकार या केंद्रीय सरकार के द्वारा बनाए गए या शासकीय कार्य या शासकीय संविदा पर आए वाहनों को परमिट की आवश्यकता नही है।
परमिट की आवश्यकता उन वाहनों को होगी जो निजी यात्री बस, ऑटो आदि या कोई निजी माल-वाहन होता है जो एक क्षेत्र सीमा में चलाने का लेता है अगर वह बिना परमिट के या अन्य सीमा क्षेत्र परमिट धारक किसी अन्य सीमा में वाहन ले जाता है तब क्या है दण्ड का प्रावधान पढ़िए।
मोटर यान अधिनियम,1988 की धारा 192 (क) की परिभाषा:
जो कोई व्यक्ति उपर्युक्त धारा 66 की उपधारा 3 के नियमों को छोड़कर वाहन का परमिट नहीं लेता या परमिट के विनिर्दिष्ट नियमो का उल्लंघन करेगा या अपने सीमा से अलग कही मोटर वाहन चलाएगा या चलाने की अनुमति देगा तब ऐसे चालक या वाहन मालिक (स्वामी) को छः माह की कारावास एवं दस हजार रुपए जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है। यदि यही अपराध वह दोबारा या बार-बार करता है तब एक वर्ष की कारावास या दस हजार रुपए जुर्माना या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article)
:- लेखक बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665
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