आपकी GPS लोकेशन जानने 32 करोड रुपए खर्च होते, क्या आप जानते हैं- GK in Hindi

Bhopal Samachar
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GPS यानी ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम का उपयोग हम सभी करते हैं। गूगल मैप के ऊपर हम अपने आपको चलते हुए देख सकते हैं। सरकारी एजेंसियां किसी भी छुपे हुए व्यक्ति की बिल्कुल सही लोकेशन पता कर लेती हैं। यह तो सभी जानते हैं कि GPS सेटेलाइट के माध्यम से काम करते हैं परंतु क्या आप जानते हैं, आप की सही लोकेशन पता करने के लिए एक नहीं बल्कि 4 सैटेलाइट काम करते हैं। 

यह जानकारी आपको स्पेशल बना देगी कि GPS टेक्नोलॉजी में पूरे 24 सेटेलाइट का एक सिस्टम काम करता है। हर स्मार्टफोन में एक इंटीग्रेटेड जीपीएस रिसीवर होता है। इस टेक्नोलॉजी में आपकी एग्जैक्ट लोकेशन का पता लगाने के लिए Trilateration technology यूज़ की जाती है। सेटेलाइट एक सर्किल बनाते हैं। यदि आप की लोकेशन पता करने के लिए केवल एक सैटेलाइट का उपयोग किया जाता तो पृथ्वी पर एक बहुत बड़ा सर्किल बनता जिसमें आपकी लोकेशन मिलती। यह तो पता चल जाता कि आप पृथ्वी के किस हिस्से में है लेकिन किस शहर और किस कॉलोनी में है यह असंभव है। 

यदि 2 सैटेलाइट का उपयोग किया जाए तो दोनों सेटेलाइट के सर्किल इंटरसेक्शन प्वाइंट बनाएंगे, और यह पता लग जाएगा कि आप किसी इंटरसेक्शन प्वाइंट पर है परंतु प्रॉब्लम यह है कि दोनों सेटेलाइट सर्किल दो इंटरसेक्शन प्वाइंट बनाते हैं। एक जमीन पर और दूसरा आसमान पर। यह पता लगाना मुश्किल है कि आप जमीन पर हैं या आसमान पर। 

यदि तीन सेटेलाइट का उपयोग किया जाएगा तो तीनों के सर्किल एक ऐसा इंटरसेक्शन प्वाइंट बनाएंगे जो आपकी एग्जैक्ट लोकेशन बता देगा, लेकिन अब भी एक प्रॉब्लम है। सैटेलाइट अंतरिक्ष में होते हैं और सेटेलाइट के सिग्नल लाइट की स्पीड से आते हैं। इसके कारण टाइम मैनेजमेंट में गड़बड़ी हो सकती है। यदि सेटेलाइट पर एक माइक्रोसेकंड का अंतर आया तो आप की लोकेशन कई किलोमीटर इधर-उधर हो सकती है। 

टाइम ऑफसेट की प्रॉब्लम को सॉल्व करने के लिए ही चौथे सेटेलाइट का उपयोग किया जाता है। इस प्रकार चार सेटेलाइट एक साथ काम करते हैं तब पता चलता है कि आप एक्चुअल में कहां पर मौजूद हैं। एक सेटेलाइट की कीमत ₹8 करोड़ों है। यानी कि आप की लोकेशन पता करने के लिए ₹32 करोड रुपए के सेटेलाइट उपयोग किए जाते हैं। यदि यह आम आदमी के लिए फ्री नहीं किया जाता तो एक व्यक्ति की GPS लोकेशन पता लगाने के लिए कम से कम ₹320000000 खर्च होते। 

चलते-चलते आपको बता दें कि GPS अमेरिकी रक्षा विभाग द्वारा विकसित किया गया नेविगेशन सिस्टम है। अमेरिका के अलावा भारत का भी अपना जीपीएस सिस्टम है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article 
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