जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मादक पदार्थों की तस्करी के मामले में शहडोल के एक युवक रोहित शर्मा को इसलिए जमानत दे दी क्योंकि पुलिस ने उसके खिलाफ कोई सबूत इकट्ठा नहीं किए। केवल संदिग्ध लोगों के बयान के आधार पर उसका नाम FIR में जोड़ लिया गया था।
न्यायमूर्ति राजीव कुमार दुबे की एकलपीठ के समक्ष आवेदक रोहित शर्मा का पक्ष अधिवक्ता संदीप जैन ने रखा। उन्होंने दलील दी कि कोतवाली थाना, सीधी पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली थी, जिसके आधार पर सड़क किनारे धंसे एक ट्रक की जांच की गई। उसमें 12 क्विंटल गांजा बरामद हुआ लेकिन मौके से किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया। लिहाजा, जांच शुरू की गई। इस प्रक्रिया में आसपास के सीसीटीवी कैमरे देखे गए। उनमें से एक में दुकान में काम करता मैकेनिक मोहम्मद जाकिर व दूसरे में कार से उतरता दीपक बर्मन नामक युवक दिखा। पुलिस ने दोनों को पकड़कर पूछताछ की तो उन्होंने आवेदक रोहित शर्मा का नाम बता दिया। इसी आधार पर पुलिस ने गांजा तस्करी मामले में रोहित को भी नामजद कर लिया।
बयान के आधार पर किसी को FIR में नामजद नहीं कर सकते
यहां ध्यान देना जरूरी है कि किसी भी अपराधी या सभ्य नागरिक के बयान के आधार पर किसी भी व्यक्ति को (चाहे उसका क्रिमिनल रिकॉर्ड क्यों ना हो) किसी घटना की FIR में नामजद नहीं कर सकते। पुलिस को इन्वेस्टिगेशन पूरी करनी होगी। व्यक्ति का नाम पता चलने के बाद साक्ष्य एकत्रित करने होंगे जो यह प्रमाणित करते हो कि वह व्यक्ति अपराध में शामिल था। मध्य प्रदेश की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया MP NEWS पर क्लिक करें.