INDORE NEWS- ऑक्सीजन खत्म हो रही है क्योंकि स्वच्छता के नाम पर पेड़ काट डाले

इंदौर
। स्वच्छता की रेस में नंबर वन पर बने रहने के लिए इंदौर नगर निगम ने कई हरे भरे पेड़ काट डाले। नतीजा शहर में ऑक्सीजन खत्म हो रही है। इंसानों की तुलना में पेड़ों की आबादी 33% होना चाहिए परंतु इंदौर में 19% रह गई है। यह बड़ी चिंता का विषय है कि इंदौर शहर में जनसंख्या के अनुपात में हरियाली बढ़नी चाहिए थी परंतु 12 स्क्वायर किलोमीटर का इलाका हरे-भरे वन क्षेत्र से मैदान बना दिया गया है।

INDORE LOCAL NEWS- शहर में कहां किसने और कितने पेड़ काटे

विजयनगर चौराहे पर पुराने RTO की 200 करोड़ की करीब छह हेक्टेयर जमीन IDA के पास है। यहां 25 साल से ज्यादा आयु के 150 से ज्यादा हरे-भरे पेड़ थे। निगम ने सारे पेड़ों पर आरी चलवा दी। अब जबकि सवाल उठने लगा तो IDA अध्यक्ष जयपालसिंह चावड़ा कहते हैं, हमारी जमीन से निगम कैसे पेड़ कटवा सकता है।

नेहरू पार्क को रिडेवलपमेंट के नाम पर ऑफिस पार्क बना दिया गया। पेड़ों को काटकर उसकी जगह स्मार्ट सिटी के साथ स्वच्छ भारत मिशन के ऑफिस बना दिया गया।
1918 में नौलखा क्षेत्र हरियाली के लिए आरक्षित था। यहां औषधीय बाग, नवगृह बाग थे। उस समय 9 लाख से भी ज्यादा पेड़ थे।
हुकुमचंद मिल की जमीन पर सिटी फॉरेस्ट का प्रस्ताव भी कभी आगे नहीं बढ़ाया गया।
पश्चिम क्षेत्र के विश्राम बाग और फलबाग में हजारों पेड़ रिडेवलपमेंट के नाम काट दिए।

ऊपर से निर्देश थे, बबूल काम के नहीं होते: उद्यान ऑफिसर

सीधी बात- परागी गोयल, ZO, चेतन पाटिल, उद्यान अफसर का कहना है कि पुराने आरटीओ को ग्राउंड के रूप में साफ किया जा रहा है। वहां बबूल के पेड़ थे, जंगल जैसा हो गया था। स्वच्छ भारत मिशन के तहत सफाई करवाई है। उन्होंने कहा कि ऊपर से निर्देश थे। बबूल काम के नहीं होते। 

बबूल का पेड़ काटने से वाटर लेवल नीचे चला जाता है: पूर्व उपायुक्त

मालवा के लिए कहते हैं, पग-पग रोटी डग-डग नीर। इसका आधार बबूल के पेड़ रहे हैं। बबूल कटने से ग्राउंड वाटर लेवल नीचे जा रहा है। म.प्र. वृक्षों का परीरक्षण अधि. के तहत 30 सेमी से ज्यादा व्यास की वनस्पति को पेड़ ही मानते हैं। काटने पर कारावास का भी प्रावधान है। -कैलाश जोशी, पूर्व उपायुक्त

हमें नहीं पता इतने सारे पेड़ किसने काट दिए: अपर आयुक्त नगर निगम

ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स के लिए फरवरी 2020 में भेजी गई जानकारी के अनुसार, शहर में 65.91 वर्ग किमी हरियाली बताई गई, जो निगम के ही उद्यान विभाग के अनुसार अब 54.08 वर्ग रह गई है। आदर्श स्थिति में 33% हरियाली होना चाहिए, लेकिन इंदौर में मात्र 19% बची है। निगम के अपर आयुक्त ऋषव गुप्ता कहते हैं, हम एक पेड़ काटने की इजाजत नहीं दे रहे, इतने पेड़ कैसे कटे, जांच करेंगे। इंदौर की महत्वपूर्ण खबरों के लिए कृपया indore news पर क्लिक करें.
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