MPPSC NEWS- प्रारंभिक परीक्षा विवाद, हाई कोर्ट में सुनवाई खत्म, एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी पेश

जबलपुर
। MADHYA PRADESH PUBLIC SERVICE COMMISSION द्वारा आयोजित राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2020 के एक प्रश्न (आदि ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की) से उपस्थित हुए विवाद के मामले में सभी पक्षों की ओर से अपनी दलीलें प्रस्तुत की गई और सुनवाई की प्रक्रिया पूरी हो गई है। इस मामले में टोटल 7 याचिकाएं दाखिल की गई थी। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष आयोग ने इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी पेश कर दी है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अपने दावे के समर्थन में NCERT, मध्य प्रदेश हिंदी ग्रंथ अकादमी सहित दर्जनों पाठ्य पुस्तकों का कोर्ट में हवाला दिया गया कि आदि ब्रह्म समाज की स्थापना केशव चंद सेन ने ही की है। आयोग द्वारा मान्य किया गया उत्तर आप्शन ‘ए’ के साथ-साथ आप्शन ‘बी’ भी मान्य किया जाना चाहिए क्‍योंकि गजेटियर में कुछ भी लिखा हो छात्र तो प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों का ही अध्ययन करते हैं। 

अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने दलील दी कि गजेटियर आम नागरिकों-छात्रों की पहुंच में भी नहीं होता है, इसलिए भिन्नता या समानता की स्थिति में दोनों उत्तरों को नियमानुसार मान्य किए जाना चाहिए। यदि दोनों विकल्प मान्य किए जाते हैं तो याचिकाकर्ता मुख्य परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।

याचिकाकर्ताओं के आधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के उक्त तर्कों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने समस्त प्रकरणों को अंतिम आदेश के लिए रिजर्व कर लिया। याचिका कर्ता के अधिवक्ता का कहना है कि यदि फैसला याचिकाकर्ताओं के पक्ष में नहीं आता है तो युगलपीठ में रिट अपील दायर की जाएगी। इससे पूर्व इस मामले में अलग-अलग याचिकाओं पर अंतरिम आदेश पारित हो चुके हैं। 

इसके बाद याचिकाकर्ताओं को अंतरिम राहत मिल चुकी है। अब अंतिम आदेश पर नजरें टिकी हैं। अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बहस के दौरान पीएससी की गलतियां रेखांकित कीं। साथ ही आवेदकों को हुए कष्ट को रेखांकित किया। हाई कोर्ट ने इस मामले में दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश रिजर्व कर लिया। उच्च शिक्षा, सरकारी और प्राइवेट नौकरी एवं करियर से जुड़ी खबरों और अपडेट के लिए कृपया MP Career News पर क्लिक करें.

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!