भोपाल। यह एक गंभीर विषय है। 10 लाख उम्मीदवारों को लगता है कि वह प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा आयोजित प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा दे रहे हैं जबकि परीक्षा का आयोजन तो पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर हो रहा है। पेटी कॉन्ट्रैक्ट यानी सरकार से ठेका लेने वाला ठेकेदार काम नहीं कर रहा बल्कि उसने किसी दूसरे को ठेका दे दिया। वह केवल मुनाफा कमा रहा है।
MP TET-3: उम्मीदवारों ने MPPEB में आवेदन किया था, परीक्षा साईं एजुकेयर करा रही है
मध्य प्रदेश प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। मध्य प्रदेश की मंत्री परिषद ने प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड परीक्षा आयोजित करने की जिम्मेदारी दी थी। 1000000 उम्मीदवारों ने MPPEB में परीक्षा के लिए आवेदन किया था परंतु MP PEB ने एडुक्विटी कंपनी को परीक्षा का ठेका दे दिया। पता चला है कि एडुक्विटी कंपनी केंद्र सरकार द्वारा अपात्र घोषित की गई है। यानी एक ऐसी कंपनी परीक्षा करा रही है जो खुद फेल हो गई। बड़ा खुलासा यह है कि ठेका लेने के बाद एडुक्विटी कंपनी ने सारा काम साईं एजुकेयर कंपनी को दे दिया। ऑनलाइन परीक्षा का आयोजन साईं एजुकेयर कंपनी द्वारा किया जा रहा है।
परीक्षा जैसे गंभीर मामले में मुनाफे के लिए उम्मीदवारों के भविष्य से खिलवाड़
सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षा और अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए प्रवेश परीक्षा जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं के मामले में सरकारी तंत्र उम्मीदवारों के भविष्य के साथ बेहद गंभीर खिलवाड़ कर रहा है। यह पॉलिसी मैटर है और पॉलिसी गलत है। मध्य प्रदेश की जनता सवाल नहीं उठाती शायद इसलिए इस प्रकार के फैसले हो जाते हैं। आइए मामले को शुरू से समझते हैं:-
दशकों पहले नेताओं की सिफारिश पर सरकारी नौकरी मिल जाती थी। योग्यता का कोई महत्व नहीं था। आवाज उठी और सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि भर्ती परीक्षा की व्यवस्था की जाए, जो हर हाल में निष्पक्ष प्रमाणित हो।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद व्यवसायिक परीक्षा मंडल का गठन किया गया। जिसे अब प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड कहते हैं।
MPPEB का काम है पूरी परीक्षा का आयोजन करना। (टाइम टेबल और रिजल्ट जारी करना नहीं)।
MPPEB के अधिकारी परीक्षा आयोजित कराने में फेल हो गए तो उन्होंने ऑनलाइन एजेंसियों को ठेका देना शुरू कर दिया।
सरकारी नौकरी की परीक्षा जैसे गंभीर मामले में प्राइवेट कंपनी को ठेका निश्चित रूप से संवेदनशील विषय है।
ताजा मामला यह है कि कंपनियां MPPEB से ठेका प्राप्त करने के बाद, दूसरी कंपनियों को काम बांट रही हैं। यानी कि ठेका लेने वाली कंपनी केवल मुनाफा कमा रही है।
सवाल है कि जो कंपनी परीक्षा का आयोजन नहीं कर सकती उस कंपनी को ठेका दिया ही क्यों।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि MPPEB परीक्षा का आयोजन नहीं कर सकती तो इसका गठन किया ही क्यों।