पत्नी मायके चली जाए तो क्या कोई कानून उसे वापस लाने में पति की मदद करेगा- The Hindu Marriage Act, 1955

भारत के शास्त्रों के अनुसार हिंदू विवाह एक संस्कार माना जाता है। जो जीवन भर के लिए होता है लेकिन कई बार ऐसा होता है की पत्नी बिना किसी उचित कारण के मायके चली जाती है और बुलाने पर भी वापस नहीं आती। आइए जानते हैं कि क्या कोई कानून है जो बिना किसी उचित कारण के मायके गई पत्नी को वापस लाने में पति की मदद करता हो।

हिन्दू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा-9 की परिभाषा:-

जब पति या पत्नी से बीच कोई छोटा-मोटा झगड़ा हुआ हो या छोटी मोटी बातों के कारण पत्नी मायके चली गई है तब पति अपनी पत्नी को वापस लाने के लिए कुटुम्ब न्यायालय या जिला न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है। न्यायालय कारण जानने के लिए पत्नी को बुलाएगा और यदि कुटुंब न्यायालय को लगता है कि पत्नी के पास पति से अलग रहने के लिए कोई ठोस वजह नहीं है तब वह धारा 9 के अंतर्गत महिला को आदेश देगा कि वह अपने पति के साथ रहे।

नोट:- ठोस कारण से अभिप्राय हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार वह सभी कारण जो क्रूरता की श्रेणी में आते हैं एवं विवाह विच्छेद के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। यदि महिला ने दहेज प्रताड़ना, पति द्वारा क्रूरता, ससुराल वालों द्वारा प्रताड़ित किए जाने की शिकायत अथवा विवाह को शून्य करने का मामला नहीं है, तब ऐसे कारण को ठोस कारण नहीं कहा जाएगा।  :- लेखक बी. आर. अहिरवार (पत्रकार एवं लॉ छात्र होशंगाबाद) 9827737665 | (Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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