Health Mantra- मोटापा, नींद, पेट दर्द और डिप्रेशन जैसी बीमारियों का इलाज मात्र 2 मिनट में

शक्ति रावत।
यदि आप लॉक डाउन के बाद से मोटापा, नींद, चिड़चिड़ापन, पीठ दर्द, जिद्दीपन, डिप्रेशन, अकेलापन, उदासी आदि से परेशान हैं तो बहुत तब तक संभावना है कि आप नेमोफोबिया, सायबर सिकनेस और सायबर एडिक्शन जैसी बीमारियों से ग्रसित हैं। यह पूरी तरह से इंसान द्वारा पैदा की गई इस सदी की नई बीमारियां हैं। इनका इलाज डॉक्टर के पास नहीं बल्कि आपके हाथ में हैं। हेल्थ मैनेजमेंट के इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़िए। यह देश के टिप्स फॉलो कर लिए तो आपको उपरोक्त बीमारियों से मुक्ति मिल सकती है।

1- वर्चुअल वर्ल्ड से बाहर आइए-

कोविड संक्रमण के बाद देशभर में स्मार्टफोन और स्क्रीन एडिक्शन लत पर विभन्न आयु वर्ग के लोगों पर किये गए शोधों के आंकड़े चौंकाने और चिंता पैदा करने वाले हैं। क्या बच्चे, क्या जवान और क्या बूढे सबको स्क्रीन की लत लग गई है। आभासी दुनिया में उलझकर लोग जीवन की हकीकत से कट रहे हैं। खबर यह भी है, कि एफबी जो नये बदलाव करने जा रहा है, उसके बाद यूजर को किसी भी मॉल, पार्क या अन्य स्थान पर आभासी मौजूदगी का एहसास होगा। यानि आप वहां खुद का होना महसूस कर पाएंगे। यह नकली टेक्नोलॉजी एक नया माया संसार रचेगी, जो इंसानी तन और मन के लिए ठीक नहीं। अगर आप भी उनमें से हें, जिनके सोशल मीडिया पर 5 हजार लेकिन असल जिंदगी में 5 दोस्त भी नहीं बचे हैं, तो यही समय है इस आभासी दुनिया से बाहर आ जाएं। वास्तविक जिंदगी से जुड़ें।

2- आंखों के लिए शुरू करें व्यायाम-

वैज्ञानिक और शोधकर्ता स्क्रीन के नशे को ड्रग के बराबर खतरनाक नशा मान रहे हैं, इससे आपके शरीर और मन पर बुरा असर जरूरत से ज्यादा हो रहा है। सबसे ज्यादा खतरा आंखों पर है, इसलिये आंखों से संबधित व्यायामों की आदत डालिये। हर 40 मिनिट स्क्रीन देखने के बाद बीस फीट दूर की किसी बड़ी चीज को देखिये 20 सेंकेड तक फिर 20 बार पलकों को झपकाइए और 20 सेंकेंड आंखें बद रखिए। ऐसा हर बार कीजिये।

3- दिमाग को दें आराम-

 सोशल मीडिया प्लेटफार्मो पर मौजूद कंटेट में 90 फीसदी से ज्यादा हिंसा, अपमान, नफरत और दूसरों का मजाक उड़ाने के साथ ही अपराधों से संबधित कंटेट हैं, यह आपके दिमाग में कितना कचरा भर रहे हैं, आपको अंदाजा भी नहीं है। यह आपके मेंटल वेलनेस के लिए सबसे खरतनाक है क्योंकि ऐसा कंटेट आपके अंदर गुस्सा, चिड़चिड़ापन और अवसाद बढ़ाता है। इसलिये लगातर स्क्रीन पर और ऑनलाइन रहने से बचिए। दिन में दो से तीन बार आंखों को बंद करके दिमाग को आराम दीजिये। 

4- अनुशासन को बनायें हथियार-

अगर आप स्क्रीन एडिक्शन से जुड़ी मानसिक या शारीरिक बीमारियों से खुद को बचाना चाहते हैं, तो डिसीप्लेन यानि अनुशासन को अपना हथियार बनाइए। सबसे पहले स्क्रीन देखने का टाइम तय कीजिये उस पर सख्ती से अमल कीजिये। रात में सोने से पहले फोन ऑफ करने का नियम बनाइए और सप्ताह में कम से कम एक दिन पूरी तरह से स्क्रीन से दूरी बनाईये। समय रहते इन आदतों को अपनाने से मुसीबत टाली जा सकती है। -लेखक मोटीवेशनल एंव लाइफ मैनेजमेंट स्पीकर हैं।

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