madhya pradesh में पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी के लिए हाई कोर्ट में याचिका - gwalior hindi news

ग्वालियर
। मध्यप्रदेश में पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी के लिए उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दाखिल की गई है। शिवपुरी निवासी सामाजिक कार्यकर्ता एवं लॉ स्टूडेंट अभिषेक जोशी ने पिटिशन फाइल की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने सन 2006 में पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी बनाने के निर्देश दिए थे परंतु मध्य प्रदेश सरकार ने आज तक कोई कदम नहीं उठाया। 

रिटायर्ड IPS प्रकाश सिंह की जनहित याचिका पर हुआ था फैसला

दिनाँक 22/09/2006 को माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रकाश सिंह जो कि एक सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं, जो पुलिस महानिदेशक (DGP) के उच्चतम पद तक पहुंचे। उन्होंने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), उत्तर प्रदेश पुलिस और असम पुलिस के प्रमुख के रूप में कार्य किया है। उन्हें भारत में पुलिस सुधारों के प्रमुख वास्तुकार के रूप में उनकी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ पुलिस अधिकारी के रूप में माना जाता है। [३] 1996 में सेवा से सेवानिवृत्त होने के बाद, उन्होंने भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की। पीआईएल का ऐतिहासिक फैसला 2006 में आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को विशिष्ट निर्देश दिए हैं कि वे पुलिस पर संरचनात्मक परिवर्तन करने के लिए इसे बाहरी दबावों से बचाने और लोगों के प्रति जवाबदेह बनाने के लिए निर्देश दें। जिसमे माननीय उच्चतम न्यायलय द्वारा पारित आदेश के निर्देश क्रमांक 06 में पुलिस शिकायत ऑथोरिटी बनाने की बात कही थी। 

पुलिस कंप्लेंट अथॉरिटी के बारे में सुप्रीम कोर्ट का डिसीजन क्या था

पुलिसकर्मियों के खिलाफ बढ़ते मामलों को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में सभी राज्यों को पुलिस शिकायत अथॉरिटी गठित करने के निर्देश दिए थे, लेकिन मध्यप्रदेश में अभी तक इस दिशा में कोई काम नहीं हो सका है। देश में सात राज्यों असम, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, केरल, राजस्थान और महाराष्ट्र ने अथॉरिटी का गठन भी कर दिया। 

मध्य प्रदेश 2014 में पुलिस कर्मियों के खिलाफ 11000 मामले दर्ज हुए

इन राज्यों में पुलिसकिर्मियों के खिलाफ दर्ज होने वाले मामलों पर सख्ती से कार्रवाई होने लगी और पहले की तुलना में शिकायतों का ग्राफ भी कम हुआ, लेकिन मध्यप्रदेश में यह लगातार बढ़ता जा रहा है। 2014 में ही करीब 11000 मामले पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज हुए। हालांकि अब तक कोई पुलिसकर्मी दोषी नहीं पाया गया। 

मध्यप्रदेश में पुलिस के खिलाफ शिकायतों का क्या होता है

पुलिसकर्मियों के खिलाफ दर्ज होने वाली शिकायतों पर पुलिस स्वयं ही जांच करती है। नतीजतन आधे से ज्यादा मामले नस्तीबद्ध हो जाते हैं। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2014 में जो 11 हजार मामले दर्ज हुए थे, उनमें पुलिस केवल 6871 मामलों की जांच कर पाई, जिसमें पुलिस ने शिकायतों को झूठा और अप्रमाणित साबित किया, जबकि शेष मामलों में जांच चल ही रही है।

हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ता से और दस्तावेज मांगे

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के करैरा तहसील में रहने वाले अभिषेक जोशी जो एक सामाजिक कार्यकर्ता एवं लॉ स्टूडेंट है। ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ग्वालियर बेंच में अपने वकील श्री रोहित जगवानी के मार्गदर्शन में एक जनहित याचिका दाखिल की है। जो कि अभिषेक जोशी व अन्य वनाम म०प्र शासन WP. 2603/2021 पर दर्ज हुई है। जिसकी सुनवाई 04/02/2021 को हुई और माननीय उच्च न्यायलय खंडपीठ ग्वालियर द्वारा उक्त प्रकरण माननीय अन्य दस्तावेज माननीय उच्चतम न्यायलय में दायर कंटेम्प्ट पेटिशन के लाने को कहा है।

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