जबलपुर। जबलपुर शहर में महामारी का खतरा मंडराने लगा है। लावारिस लाशें जिनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाता, कई इंसानो की मौत का कारण बन सकती है। दरअसल, गिद्ध गणना के दौरान जबलपुर परिक्षेत्र में मात्र दो गिद्ध पाए गए हैं। यानी इस इलाके में आबादी से दूर एकांत में यदि किसी इंसान या जानवर की लाश लावारिस पड़ी हुई तो उससे निकलने वाले वायरस किसी भी प्रकार की महामारी का कारण हो सकते हैं।
प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना वर्ष 2020-21 के अंतर्गत वनमंडलाधिकारी श्रीमती अंजना सुचिता तिर्की के निर्देशन में आज सूर्योदय के पश्चात प्रारंभ होकर प्रात: 9 बजे तक वन मंडल के समस्त परिक्षेत्रों में गिद्धों की गणना एक अभियान के रूप में की गई। जिसमें पाटन परिक्षेत्र में सर्वाधिक कुल 53 गिद्ध एवं कुंडम परिक्षेत्र में कुल 34 तथा अन्य शहपुरा परिक्षेत्र में 3 गिद्ध एवं जबलपुर परिक्षेत्र में 2 गिद्ध इस प्रकार कुल 92 गिद्ध पाये गये। प्रदेश व्यापी गिद्ध गणना वर्ष 2020-21 में वनमंडल जबलपुर के अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ-साथ मुख्यालय द्वारा चयनित तीन वालेंटियर्स का भी सहयोग लिया गया।
पाटन और कुंडम सबसे सुरक्षित, शहपुरा और जबलपुर शहर खतरे में
जबलपुर जिले में पाटन और कुंडम दो ऐसे इलाके हैं जहां महामारी का खतरा लगभग शून्य है लेकिन जबलपुर शहर और शहपुरा इलाकों में लावारिस लाशों के कारण महामारी का खतरा सबसे ज्यादा है। याद रखना जरूरी है कि आबादी वाले इलाकों में इंसान और जानवरों की लावारिस लाशों का निपटारा हो जाता है परंतु जिन इलाकों में मनुष्यों का आना जाना नहीं होता वहां लावारिस लाशों का सड़ा हुआ मांस खाकर गिद्ध ही है जो मनुष्य को महामारी से बचाते हैं।