सस्ता इलाज: जनता का अधिकार या सरकार का एहसान, सुप्रीम कोर्ट का फैसला पढ़िए - RIGHT TO HEALTH SUPREME COURT

नई दिल्ली।
देशभर में सरकारी अस्पताल बंद जैसी हालत में आ गए हैं। लिमिटेड बिस्तर उपलब्ध है, लिमिटेड सुविधाएं, सत्ता में बैठे नेता यदि चिकित्सा सेवाओं के मामले में थोड़ा बहुत काम करते हैं तो भाषणों में इस तरह जताते हैं जैसे जनता पर एहसान कर रहे हों। ज्यादातर लोग भी ऐसा ही मानते हैं लेकिन सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला एक बार फिर बताता है कि न्यूनतम दरों पर अच्छा इलाज प्राप्त करना भारत के नागरिक का मौलिक अधिकार है और सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी।

निशुल्क या सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका की सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य को मौलिक अधिकार (right to health) बताया। कोर्ट ने कहा कि राइट टु हेल्थ मौलिक अधिकार है। सरकार सस्ते इलाज की व्यवस्था करे। ।

सभी सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी अनिवार्य: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देशभर के राज्य और केंद्र शासित प्रदेश कोविड गाइडलाइंस का सख्ती से पालन करें। कोर्ट ने सरकारों को सभी कोरोना अस्पतालों के फायर सेफ्टी को सुनिश्चित करने को कहा। हाल ही में गुजरात के एक कोरोना अस्पताल में आग लगने से मरीजों की मौत को कोर्ट ने गंभीरता से लिया था। कोर्ट ने कहा कि जो अस्पताल अभी तक फायर NOC नहीं लिए हैं, वे तत्काल ले लें। अगर 4 हफ्ते के भीतर फायर NOC नहीं लेते हैं तो राज्य सरकार उनके खिलाफ ऐक्शन ले। कोर्ट ने फायर सेफ्टी के लिए हर राज्य को एक नोडल ऑफिसर नियुक्त करने को कहा है जो अस्पताल में फायर सेफ्टी का ऑडिट करेगा।

लॉकडाउन या कर्फ्यू की सूचना पहले से दी जानी चाहिए: उच्चतम न्यायालय

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिशानिर्देशों और मानक संचालन प्रक्रियाओं (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) के लागू नहीं होने से कोविड-19 महामारी ‘जंगल की आग’ की तरह फैल गई है। कोर्ट ने कहा कि अभूतपूर्व महामारी के कारण दुनियाभर में हर कोई किसी न किसी तरीके से प्रभावित हो रहा है। यह कोविड-19 के खिलाफ विश्व युद्ध है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि कर्फ्यू या लॉकडाउन लागू किए जाने के किसी भी फैसले की घोषणा पहले से की जानी चाहिए ताकि लोग अपनी आजीविका के लिए व्यवस्था कर सकें।

नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सरकार की पहली प्राथमिकता: सर्वोच्च न्यायालय

SC ने कहा कि लगातार आठ महीने से काम कर रहे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मी थक गए हैं, उन्हें आराम देने के लिए किसी व्यवस्था की जरूरत है। साथ ही राज्यों को सतर्कतापूर्वक कार्रवाई करनी चाहिए और केंद्र के साथ सौहार्दपूर्ण तरीके से मिलकर काम करना चाहिए, नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

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