धमकी से घबराई सरकार, स्कूल खोलने के आदेश तैयार - MP NEWS

भोपाल
। कुछ दिनों पहले कोरोना योद्धाओं को लाठियों से पीटकर जेल में बंद कर देने वाली शिवराज सिंह सरकार प्राइवेट स्कूल संचालकों की एक धमकी से घबरा गई। लोक शिक्षण संचालनालय ने स्कूल खोलने के आदेश तैयार कर लिए हैं। माना जा रहा है कि आने वाली 1 या 2 दिन में आदेश जारी हो जाएंगे। अगले सप्ताह से मध्य प्रदेश में हाई स्कूल एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों का नियमित संचालन शुरू हो जाएगा। 

लोक शिक्षण संचालनालय: सुबह ज्ञापन मिला, शाम से पहले ड्राफ्ट तैयार

इस संबंध में प्राइवेट स्कूल संचालकों ने भोपाल में गुरुवार को एक पत्र लोक शिक्षण आयुक्त को दिया। कियावत ने कहा, उनकी मांगों का ड्राफ्ट बनाकर शासन को भेज दिया है। इसके बाद 9वीं से 12वीं तक के स्कूल जल्द खोले जा सकते हैं। यह उल्लेख करना जरूरी है कि लोक शिक्षण संचालनालय में शैक्षणिक महत्व के मुद्दों पर भी 1 दिन में इस तरह फटाफट कार्रवाई नहीं होती।

9to12 के बाद अब मिडिल स्कूल खोलने का दबाव 

सरकार की घबराहट से प्राइवेट स्कूल संचालकों के हौसले बुलंद हो गए हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नाम पर प्राइमरी स्कूल की नियमित कक्षाओं की मांग को छोड़ दिया गया है लेकिन मिडिल स्कूल यानी कक्षा 6 से 8 तक की नियमित कक्षाएं लगाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है।

कमिश्नर डीपीआई ने माना: स्कूल खोलना आवश्यक है

एसोसिएशन ऑफ अन-एडेड प्राइवेट स्कूल्स मध्य प्रदेश एवं सोसाइटी ऑफ प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स के उपाध्यक्ष विनी राज मोदी ने बताया कि आयुक्त के साथ मीटिंग हुई। उन्होंने सभी मांगों को ध्यान पूर्वक सुना व 14 दिसंबर के पहले आदेश जारी करवाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि सरकार प्राइवेट स्कूलों के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने माना कि तीन चौथाई शिक्षा सत्र बीत चुका है। अब स्कूल खोलना आवश्यक है।

14 को मुख्यमंत्री निवास का घेराव होगा

प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन पहले ही ऐलान कर चुके हैं कि अगर 14 दिसंबर तक स्कूल नहीं खोले गए, तो आंदोलन शुरू होगा। 14 दिसंबर को सबसे पहले मुख्यमंत्री निवास घेरा जाएगा। इसके बाद ऑन लाइन क्लास बंद कर दी जाएंगी।

पेरेंट्स का सिर्फ एक सवाल 

पिछले दिनों केंद्र सरकार की गाइडलाइन जारी होने के बाद भी पेरेंट्स नहीं अपने बच्चों को स्कूल भेजने से इंकार कर दिया। 90% से ज्यादा पेरेंट्स सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिए। सरकार और स्कूल संचालकों के बीच चल रही डील के बाहर पेरेंट्स का सिर्फ एक सवाल है कि यदि नियमित कक्षाओं के दौरान स्टूडेंट्स संक्रमित हो गई तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। स्टूडेंट्स के इलाज का खर्चा कौन उठाएगा। यदि किसी स्टूडेंट की मृत्यु हो गई, तो किसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और किसे जेल भेजा जाएगा।

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