अनौखी नवरात्रि: जैसे राजकुमारी उत्तरा ने मनाई थी, आज भी वैसे ही मनाते हैं - Navratri Bommai Kolu in hindi

0
दक्षिण भारत में नवरात्रि के अवसर पर गुड्डे-गुड़ियों को सजाने की एक विशिष्ट परंपरा है जिसे बोम्मई गोलू या नवरात्र गोलू कहा जाता है। इस परंपरा में देवी-देवताओं, महिला- पुरुषों, बच्चों और पशुओं के छोटे-छोटे पुतले प्रदर्शित किए जाते हैं। जो किसी ना किसी प्राचीन कथा से जुड़े होते हैं। 

इनका प्रदर्शन 3,5,7 या 9 की सौपानो में किया जाता है और दिन में दो बार इनकी पूजा होती है। पहले सोपान को पानी भरे कलश से सजाया जाता है, जिस पर नारियल और आम के पत्ते होते हैं उसे मां दुर्गा का प्रतीक माना जाता है। तमिल भाषा में बोम्मई गोलू या कोलू का अर्थ है, दिव्य उपस्थिति। यह धार्मिक परंपरा है जो हस्तशिल्प को बढ़ावा देती है। 

बोम्मई गोलू की कथा, क्यों मनाया जाता है

कर्नाटक की एक लोककथा के अनुसार इस परम्परा का सिरा महाभारत काल से जुड़ता है। कथा के मुताबिक़, एक वर्ष के अज्ञातवास के दौरान अर्जुन वृहन्नला के रूप में राजकुमारी उत्तरा को नृत्य व संगीत की शिक्षा दे रहे थे। इसी दौरान जब उन्हें राजकुुमार का सारथी बनकर युद्धक्षेत्र में जाना था, तो उत्तरा ने पूछा कि आप कौरवों से युद्ध के लिए जा रहे हैं, क्या हमारे लिए भी कुछ लाएंगे? अर्जुन ने जवाब दिया कि युद्धभूमि में जो मिलता हो, वह मांग लो, तब उत्तरा ने कहा कि मैं अपनी गुड़ियों को कुरुपक्ष के योद्धाओं के वस्त्रों से सजाना चाहती हूं। 

बहरहाल, अर्जुन जब कौरवों को हराकर लौट रहे थे, तब उन्हें यह बात याद आई। इसके बाद उन्होंने पुन: युद्धभूमि में पहुंचकर सम्मोहन अस्त्र का प्रयोग किया और योद्धाओं के ज़रीदार वस्त्र उतार लिए। फिर उत्तरा ने उनसे अपनी गुड़ियाओं को सजाया। इसी दिन की याद में अब भी गुड़ियां सजाई जाती हैं।

दक्षिण भारत में नवरात्रि के अवसर पर रंगोली कैसे बनाते हैं

इस मौक़े पर विभिन्न रंगों के प्राकृतिक चूर्ण और फूलों का इस्तेमाल कर परम्परागत अल्पना या रंगोली बनाई जाती है। संध्याकाल में पूरा परिवार देवी के सम्मुख बैठता है और एक रंगोली के बीचोबीच एक छोटा दीपक जलाकर मंत्र, भजन और श्लोकों का सस्वर पाठ किया जाता है। यह दीपक कुथुविलक्कु कहलाता है। 

दक्षिण भारत में नवरात्रि त्यौहार का सबसे लोकप्रिय व्यंजन कौन सा है

इस दौरान पारिवारिक सदस्यों, नातेदारों और मित्रों के बीच नारियल, कपड़े, मिठाई और पारम्परिक उपहारों का आदान-प्रदान होता है। शेष भारत की तरह दक्षिण में भी पर्व और पकवानों का घनिष्ठ मेल है। नवरात्र के दौरान वहां कई स्वादिष्ठ चीज़ें बनाई जाती हैं, जिनमें सर्वप्रमुख है, चने से बनने वाला सुंडल। 

भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

Post a Comment

0 Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!