SC/ST ACT 1989 के तहत किस तरह के अपराध दर्ज किए जाते हैं, यहां पढ़िए

आज हम उन अपराधों की जानकारी देंगे जो अनुसूचित जाति और जनजाति (अत्याचार निवारण) अधनियम,1989 के अंतर्गत आते हैं। ये सभी अपराध संज्ञये अपराध होते हैं। इनकी शिकायत लिखना प्रत्येक थाना प्रभारी या थाना अधिकारी का कर्तव्य होता है। अगर संबंधित थाने का थाना प्रभारी या थाना अधिकारी शिकायत या FIR नहीं लिख रहा हैं, तब अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत कर्तव्यों की उपेक्षा का मामला विशेष न्यायालय में दायर कर सकते हैं। जिसकी संपूर्ण जानकारी हमने पिछले लिख में दी थी। क्योंकि इस अधिनियम में अनुसूचित जाति ओर अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को शिकायत या FIR दर्ज करना एक कानूनी अधिकार है।

अनु.जाति और अनु.जनजाति (अत्याचार निवारण)अधिनियम 1989 की धारा 3(1) की परिभाषा:-

जो व्यक्ति अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य न होते हुए इन वर्ग के सदस्यों के साथ निम्न कृत्य करेगा वह इस धारा के अंतर्गत दोषी होगा-:
कोई भी घृणा जनक या अखाद्य पदार्थ खाने के लिए विवश करेगा, आवास के आस पास कूड़ा कचरा या मल मूत्र आदि डालेगा, किसी प्रकार से मानसिक तनाव देगा या अपमानित करेगा, उसके चेहरे को पोतकर नग्न या अर्धनग्न घूमना या जूते की माला पहनना, जबरदस्ती मुंडन करना या मूंछे काटना, सरकार से दो गई संपत्ति या भूमि पर जबरदस्ती कब्जा करना, गांव या घर से निकलना या निकलने के लिए मजबूर करना, बंधुआ मजदूरी करना, मतदान न करने देना या किसी विशेष व्यक्ति को वोट देने के लिए दबाव बनाना, मतदान का नामांकन फार्म न भरने देना या नामांकन फार्म वापस लेने के लिए दबाव बनाना, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर sc/st वर्ग के व्यक्ति को अपमानित करना, किसी भी जलाशयों, होटल, मंदिर, अस्पताल, आदि में प्रवेश करने से रोकना, अति श्रध्दा से माने जाने वाले किसी किसी दिवंगत व्यक्ति का लिखित या मौखिक शब्दों द्वारा या सोशल मीडिया द्वारा अनादर करेगा, विधिक द्वारा झूठा मुकदमा या वाद चलाना या किसी लोकसेवक द्वारा झूठी कार्यवाही करना, जाति सूचक शब्दों से गाली गलौच करना, उनके धार्मिक मान्यता वाले स्थान की अपवित्र करना या उनकी वस्तु (मूर्ति,फोटो) को नष्ट करना, महिलाओं को दासी बनाकर रखना, उनके प्रति भेदभाव, घृणा या शत्रुता को भावना रखना, लैगिक उत्पीड़न करेगा,  निर्वाचन संबंधित पंचायत एवं नगरपालिका मे आरक्षण न देना, छुआ-छूत करना, कोई भी व्यपार या व्यवसाय करने से लिए रोकना आदि।

SC-ST ACT की धारा 3(1) के तहत दण्ड का प्रावधान:-  

कम से कम 6 माह से अधिकत 5 वर्ष की कारावास एवं जुर्माने से दण्डिनीय होगा।

अनु. जाति ओर अनु.जनजाति (अत्यचार निवारण)अधिनियम 1989 की धारा 3(2) की परिभाषा:-

अगर कोई व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति का सदस्य नही होगा और उनके विरुद्ध निम्न कृत्य करेगा:-
1.ऐसी झूठी गवाही देगा जिससे SC-ST के सदस्य को मृत्युदण्ड की सजा हो सकती थी। ये झूठी गवाही देने वाले को आजीवन कारावास से दण्डित किया जाएगा। औऱ उस sc/st वर्ग के सदस्य को झूठी गवाही के कारण मृत्युदंड दिया जा चुका है तब झूठी गवाही देने वाले व्यक्ति को भी मृत्युदंड दिया जाएगा।
2. अग्नि या विस्फोटक द्वारा संपत्ति को नुकसान पहुचाएगा तब 6 माह से अधिकतम 7 वर्ष की कारावास एवं जुर्माना लिया जाएगा। अगर अग्नि या विस्फोटक द्वारा पूजा स्थल, मानव आवास, संपत्ति आदि को नष्ट करेगा। तब आजीवन कारावास एवं जुर्माने से दंडनीय किया जाएगा।
3. भारतीय दण्ड संहिता के अधीन यदि 10 वर्ष या उससे अधिक कारावास से दण्डित कोई अपराधी sc/st की संपत्ति को नुकसान पहुचाता हैं। तब उसे आजीवन कारावास और जुर्माने से दण्डित किया जाएगा।
4.यदि कोई सरकारी अधिकारी या कर्मचारी होते हुए इस धारा के अपराध करता है तो उसे कम से कम 1 वर्ष की सजा से दंडित किया जाएगा आदि।
बी. आर. अहिरवार होशंगाबाद (पत्रकार एवं लॉ छात्र) 9827737665

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