दो इलेक्ट्रिक पोल के बीच तार ढीला क्यों होता है, सीधा क्यों नहीं होता, आइए जानते हैं / GK IN HINDI

आपने अक्सर देखा होगा बिजली के दो खंभों के बीच तार झूलता हुआ दिखाई देता है। वह एकदम सीधा कसकर बंधा हुआ नहीं होता। बिजली इंजीनियर कहते हैं कि बिजली के तार में जितने भी मोड़ होते हैं, उतना ही बिजली का लॉस होता है। यदि तार को सीधा रखा जाए तो बिजली का खर्चा कम होता है। सवाल यह है कि जब सरकार यह बात जानती है तो फिर दो इलेक्ट्रोल के बीच तार को ढीला छोड़कर बिजली का खर्चा क्यों बढ़ाती है। क्या इसके पीछे कोई साइंस है या फिर कर्मचारियों की लापरवाही। आइए समझने की कोशिश करते हैं:

तापीय प्रभाव क्या होता है, आपकी लाइफ में कहां और कितना काम करता है

जयपुर राजस्थान के रहने वाले धर्मेन्द्र सिंह राठौर जिन्होंने Diploma Electrical Engineering & Civil Engineering (जनपत अभियंत्रिक) किया है एवं Pricision Design Engineering में ड्राफ्ट्समैन पद पर कार्यरत हैं, बताते हैं कि बिजली के तारों को थोड़ा ढील देकर बांधना, रेलवे ट्रैक पर पटरियों के जॉइंट पर गैप रखना, सीमेंट कंक्रीट की सड़क के जॉइंट्स पर गैप रखना, सड़क के पुल के जॉइंट्स में जगह रखना इत्यादि इत्यादि कई सारे उदाहरण आपको देखने को मिलेंगे। इन सब मे बहुत सारे कारक होते है लेकिन एक सबसे प्रमुख और कॉमन कारक होता है, वो है तापीय प्रभाव। 

इस बात को ध्यान से समझिए

हम सब ने यह देखा और महसूस किया है कि जब भी कोई धातु गर्म होती है तो उसमें प्रसार होता है और जब ठंडी होती है तो सिकुड़न या संकुचन पैदा होता है। ये एक प्राकृतिक परिघटना होती है जो लगभग सभी धातुओं पर समान रूप से लागू होती है, हालांकि कुछ धातुओं में यह प्रभाव कम तो कुछ में ज्यादा होता है, लेकिन होता अवश्य ही है।

2 खम्बों के बीच तार को ढीला क्यों छोड़ा जाता है

जब सर्दियों में तापमान काफी कम हो जाता है उस वक़्त बिजली के तार (जो सामन्यतः ऐलुमिनियम और स्टील से बने होते है) अपनी तापीय प्रवर्ति के कारण सिकुड़न पैदा करते है और अपना क्षेत्रफल कम करने की कोशिश करते है। इस स्थिति में तार को यदि पूर्णतः कस कर बाँधा गया हो तो वह जिन खम्बो से बंधा होता है उन पर बल लगाएगा और फलस्वरूप प्रतिबल उतपन्न करेगा, जो कि सम्भव है तारों को तोड़ दे, या खम्बो को अंदर की तरफ झुका दे। चूंकि ट्रांसमिशन लाइन सैकड़ो किलोमीटर लंबी होती है अतः इनका कुल प्रभाव बहुत ही ज्यादा होगा, जो किसी भी परिसंचरण (ट्रांसमिशन लाइन) को काफी जगह से नुकसान पहुंचा सकता है। अतः इस प्रभाव को खत्म करने के लिए तारों को लटका कर बांधा जाता है, जिसको तकनीकी भाषा मे SAG कहते हैं।

सैग देने के पीछे और भी कई तथ्य होते है, जैसे,
  • वायु के कारण लोड
  • बर्फ के कारण लोड
  • कंडक्टर (तार) का खुद का भार
  • दो खम्बो के मध्य की दूरी


गुरूत्वाकर्षण के कारण भी तार सीधे नहीं रख सकते

और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आप किसी भी तार को किसी भी स्तिथि में बिल्कुल सीधा नही रख सकते, यह असम्भव है, सैग नही दिए जाने पर भी अपने आप आएगा, क्योंकि सभी तारों में खुद का भार अवश्य होगा जो गुरुत्वीय प्रभाव के कारण तार को नीचे की तरफ अवश्य झुका देगा। हालांकि उस परिस्तिथि में यह कम होगा।
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