सुप्रीम कोर्ट द्वारा बर्खास्त 9000 शिक्षकों को ₹35000 महीना बता देगी सरकार | EMPLOYEE NEWS

नई दिल्ली। त्रिपुरा सरकार के मुख्यमंत्री श्री विप्लव कुमार देब ने घोषणा की है कि वह उन सभी 8882 शिक्षकों को ₹35000 महीना बता देंगे जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अयोग्य ठहराते हुए बर्खास्त कर दिया है। त्रिपुरा सरकार ने इन सभी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक पदों पर नियुक्त करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मांगी है। सुप्रीम कोर्ट जब तक फैसला नहीं कर देता सभी को ₹35000 प्रतिमाह भत्ता मिलता रहेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में कई खामियां पाई थी जिसके बाद इन शिक्षकों को नौकरी से हटाने का आदेश जारी किया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा, 'इन शिक्षकों की नौकरी की अवधि मंगलवार को खत्म हो गई। कुल 10,323 में से बहुत से शिक्षकों ने दूसरी नौकरी तलाश ली और अभी उनमें से 8,882 शेष बचे हैं जिनकी नौकरी की अवधि 31 मार्च को खत्म हो गई। इन शिक्षकों को 35000 रुपये का मासिक भत्ता मिलेगा।'

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उन्हें नॉन-टीचिंग कैटेगरी में भर्ती करने की अनुमति मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक विशेष याचिका दायर की है। लॉकडाउन होने के चलते यह याचिका ऑनलाइन दाखिल की गई है। देब ने इन शिक्षकों को भरोसा दिया है कि उनकी सरकार समस्या को हल करने की पूरी कोशिश करेगी। उन्हें (शिक्षकों को) सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक भत्ता मिलता रहेगा। 

2010 के बाद से विभिन्न चरणों में 10,323 अंडरग्रेजुएट, ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों की भर्ती की गई है। इन शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने भर्ती में खामियां पाते हुए शिक्षकों की सेवाएं बर्खास्त कर दी। तत्कालीन वाम मोर्चे की सरकार ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी लेकिन शीर्ष अदालत ने मार्च 2017 में हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा। 

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में टीचर्स को 31 दिसंबर, 2017 को सेवानिवृत होने के लिए कहा गया। इसके बाद उन्हें एड-हॉक बेसिस पर रख लिया गया। मार्च 2018 में राज्य में  BJP-IPFT सरकार आने के बाद उसने फिर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की। कोर्ट ने सेवाओं को 31 मार्च, 2020 तक का विस्तार दे दिया। 

राज्य के शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि उन्हें शिक्षकों के पद पर नहीं रखा जा सकता। ऐसे में राज्य सरकार ने कोर्ट में याचिका दायर की है कि उन्हें नॉन टीचिंग व नॉन टेक्निकल पदों पर भर्ती किया जाए।

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