हर्निया का इलाज पाएं मात्र 30 मिनट में

जिंदगी की गाड़ी बहुत स्पीड से भाग रही है। भागदौड़ भरी जिंदगी में खुद के लिए समय निकालना मुश्किल हो गया है। इस तरह हम अपनी सेहत पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। सेहत पर ध्यान ना देने की वजह से हमें कई तरह की बीमारियां हो जाती हैंए जिसमें से एक हर्निया भी है। 

हर्निया में शरीर का कोई भी हिस्सा या अंग अपने सामान्य आकार से ज्यादा बड़ा हो जाता है। यह बीमारी शरीर के किसी भी अंगए किसी भी हिस्से में हो सकती है। लेकिन ज्यादातर यह पेट में ही देखने को मिलती है। जब आंत अपने सामान्य आकार से बड़ी हो जाती  है तो पेट में हर्निया की शिकायत हो जाती है। यह पेट की मांसपेशियों के खराब होने की वजह से होती है। 

डॉक्टर का मानना है कि हर्निया मांसपेशियों में कमजोरी और उनमें खिंचाव की वजह से होती है। यह कुछ खास कारणों से होता है। इसमें उम्र बढ़नाए चोट लगनाए पुरानी सर्जरी की वजह से कोई परेशानी होनाए पुरानी खांसीए सीओपीडी या कब्ज होनाए ज्यादा व्यायाम करना या भारी वजन उठानाए प्रेगनेंसी या मल्टीपल प्रेगनेंसीए मोटापाए स्मोकिंग आदि शामिल हैं।      

आमतौर पर हर्निया का कोई खास लक्षण नहीं होता लेकिन कुछ लक्षण हैं जिनकी मदद से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आपको हर्निया है या नहीं। हर्निया से प्रभावित अंग उभरा हुआ नजर आता है। जब आप उस उभरे हुए हिस्से को छुएंगे तो यह हिस्सा ठोस और इसमें दर्द महसूस हो सकता है। 

कुछ खास तरह की हर्निया जैसे की हियातल हर्निया में सीने में जलनए दर्द और खाने में दिक्कत जैसी परशानी सामने आ सकती है। उठतेए बैठते या काम करते समय हर्निया से प्रभवित क्षेत्र में दर्द हो सकता है। अगर दर्द एक दिन रहता है तो इसे हर्निया नहीं कह सकते लेकिन अगर दर्द लंबे समय तक है तो फिर हर्निया हो सकता है। 

कुछ मामलों में हर्निया का इलाज करने की जरुरत नहीं पड़ती है। यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। लेकिन ज्यादातर मामलों में इस बीमारी का इलाज कराना जरूरी होता है। अगर समय पर इसका सही इलाज नहीं हुआ तो मौत का खतरा भी रहता है। इसलिए डॉक्टर से मिलना हमेशा बेहतर होता है। कुछ हर्निया की स्थिति ऐसी होती है कि उन्हें सिर्फ सर्जरी से ही ठीक किया जा सकता है।     

हर्निया के इलाज के लिए लैप्रोस्कोपिक सर्जरी सबसे बेहतर है। मरीज जब पूरी तरह से सर्जरी के लिए तैयार हो जाता है तब उसे जनरल एनेस्थीसिया दिया जाता है। एनेस्थीसिया देने के बाद सर्जरी की जाने वाली जगह पर unwanted hairs हटा देते हैं। ऐसा करने से इंफेक्शन होने का खतरा खत्म हो जाता है। सर्जरी करने के लिए मरीज के पेट को फुलाते हैं और इसके लिए कार्बन डाइऑक्साइड को मरीज के पेट में पंप किया जाता है। 

सर्जन प्रभावित क्षेत्र पर एक छोटा सा कट लगाते हैं। कई बार एक से ज्यादा भी कट लगाते हैं। इस कट के जरिए लैप्रोस्कोप को पेट के अंदर डालते हैं। 

लैप्रोस्कोप एडवांस टेक्नोलॉजी कैमरा है जिससे डॉक्टर शरीर के अंदरूनी अंगों को बहुत ही बारीकी के साथ देखते हैं। जिसके बाद हर्निया की सर्जरी की जाती है। 

सर्जरी पूरी होने के बाद लैप्रोस्कोप को शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है। फिर लगाए हुए कट को बंद कर दिया जाता है। इसमें मात्र 30 मिनट का समय लगता है। सर्जरी खत्म होने के 24 घंटे के अंदर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता है। दूसरी प्रक्रियाओं की तुलना में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी को बेहतर इलाज होता है। 

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी में मरीज को ज्यादा दर्द नहीं होता है। इसमें मरीज का समय बचता है क्योंकि यह बहुत कम समय में पूरी हो जाती है और मरीज को रिकवर होने में भी बहुत कम लगता है। 

प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care)  में हर्निया का इलाज कराने पर मरीज को उसके देखरेख की बिल्कुल फिक्र नहीं रहती है। प्रिस्टीन केयर के कर्मचारी अस्पताल में पर्ची कटवाने से लेकर मरीज के खाने और रहने तक का प्रबंध करते हैं। हर्निया की लैप्रोस्कोपिक सर्जरी अनुभवी और कुशल सर्जन के द्वारा की जाती है। प्रिस्टीन केयर के सर्जन हर्निया को सर्जरी के जरिए आसानी से हमेशा के लिए खत्म कर देते हैं। 

यहां सभी इलाज एडवांस टेक्नोलॉजी के द्वारा किये जाते है। यहां मरीजों को फ्री फॉलो.अप की सुविधा भी दी जाती है। इसके साथ मरीज के आने जाने का खर्चा भी उठाया जाता है। प्रिस्टीन केयर इंश्योरेंस टीम के जरिये आप हर्निया का लेप्रोस्कोपिक ट्रीटमेंट 100ः तक के क्लैम पर करा सकते हैं।

प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care)  में हर्निया का इलाज करने से पहले डॉक्टर कुछ जांच करते हैं ताकि बीमारी और उसकी स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकें। इसमें शारीरिक परीक्षणए खून की जांचए अल्ट्रासाउंडए एक्स.रेए एमआरआई आदि शामिल हैं। अगर आप हर्निया की सर्जरी के लिए बेस्ट हॉस्पिटल की तलाश में हैं तो तुरंत प्रिस्टीन केयर (Pristyn Care)  से संपर्क करें। 

लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के फायदे 

सुरक्षित इलाज।  
30 मिनट की प्रक्रिया।  
फिर से बीमारी होने का कोई खतरा नहीं।  
दर्दए टांके और दाग नहीं होते हैं।  
24 घंटे के अंदर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया जाता।  
बहुत ही प्रभावशाली इलाज है।  
इंफेक्शन होने का खतरा लगभग ना के बराबर होता है।
सर्जरी के बाद रिकवरी जल्दी होती है। 

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