मोबाइल फोन का उपयोग तो आजकल हर इंसान कर रहा है। आपके पास सामान्य 2g फोन हो या फिर स्मार्टफोन उसके अंदर एक सिम कार्ड जरूर होता है। क्या आप बता सकते हैं इस सिम कार्ड का मूल काम क्या होता है। इस सिम कार्ड का फुल फॉर्म क्या होता है। आइए जानते हैं:
ज्यादातर लोग सिम कार्ड को एक एंटीना समझते हैं। वह कहते हैं कि मोबाइल में सिम कार्ड डालते ही मोबाइल नेटवर्क पकड़ने लगता है। इस हिसाब से सिम कार्ड एक एंटीना हुआ परंतु ऐसा नहीं है। सिम (SIM) शब्द का फुल फॉर्म है 'सबस्क्राइबर आइडेंटिटी मॉड्युल' (Subscriber Identity Module)। यानी आप की पहचान बताने वाला सिस्टम। सिम कार्ड मोबाइल को आपकी पहचान बताता है। मोबाइल के अंदर एंटीना पहले से ही छुपा होता है। जैसे ही मोबाइल को पता चलता है कि उसे किसके लिए काम करना है, मोबाइल फोन अपना काम करना शुरू कर देता है। सरल शब्दों में कहें तो सिम कार्ड मोबाइल फोन को यह बताता है कि आप उस फोन के आधिकारिक तौर पर मालिक हैं। सिम कार्ड ही मोबाइल फोन को आदेश देता है कि वह आपके लिए काम करें।
2G मोबाइल फोन की शुरुआत 1991 के आसपास हुई थी। तब इन मोबाइल फोन में सिम कार्ड डाला गया। जरा सोचिए यदि सिम कार्ड ना होता तो कितना मुश्किल होता। अभी आप कोई भी मोबाइल फोन यूज कर पाते हैं परंतु यदि सिम कार्ड नहीं होता तो आप अपने वायरलेस फोन को बदलने से पहले किसी इंजीनियर के पास ले जाना पड़ता। इंजीनियर नए हैंडसेट को आपके लिए कॉन्फ़िगर करता। इसके लिए वह मोटी फीस भी ले सकता था। कम से कम 24 घंटे का वक्त लगता।
तो थैंक यू बोली उस आदमी को जिसने सिम कार्ड बनाया। चलते चलते आपको यह भी बता दें कि सिम कार्ड को बनाने वाले इंजीनियर का नाम आज भी गोपनीय है। वह इंजीनियर जर्मन कंपनी जिसेक एंड डेविएंट (Giesecke & Devrient) में काम करता था। कंपनी ने सिम कार्ड बनाने का क्रेडिट खुद ले लिया। इंजीनियर का नाम दर्ज नहीं किया।
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