फरार हत्यारे की मौत हो गई थी, पुलिस ने उसकी जगह दूसरे को जेल में बंद कर दिया | MP NEWS

इंदौर। इंदौर पुलिस ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि हाईकोर्ट भी खिसिया उठा। हाईकोर्ट में ₹500000 की कास्ट लगाई है और तत्काल 68 साल के उस व्यक्ति को जेल से मुक्त करने के आदेश दिए हैं इंदौर पुलिस ने बेवजह गिरफ्तार किया था। दरअसल पुलिस रिकॉर्ड में हत्या के मामले में एक आरोपी फरार चल रहा था। असल में उसकी मौत हो गई थी। पुलिस ने फरार आरोपी को गिरफ्तार दिखाने के लिए उसी के नाम वाले दूसरे व्यक्ति को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

पुलिस और जेल विभाग ने कोर्ट में झूठा शपथ-पत्र भी दिया

धार जिले के ग्राम देवधा में रामसिंह नामक व्यक्ति ने दो शादी की थी। दोनों पत्नियाें से एक-एक बेटे का जन्म हुआ। एक काे 'बड़ा हुस्ना' तो दूसरे को केवल 'हुस्ना' कहा जाता था। बड़े हुस्ना काे एक व्यक्ति की हत्या के आराेप में सजा हुई। 1985 में हुस्ना पैरोल पर बाहर आया और फरार हो गया। 10 सितंबर 2016 को उसकी मौत हो गई, लेकिन परिवार ने जेल या पुलिस विभाग को खबर नहीं दी। तीन साल बाद 18 अक्टूबर 2019 को पुलिस सौतेले भाई हुस्ना के घर पहुंची और गिरफ्तार कर लिया। 68 बरस के हुस्ना और बेटा कमलेश आदिवासी भाषा में पुलिस को समझाते रहे पर पुलिस ने एक नहीं सुनी और सीधे जेल भिजवा दिया। बेटे कमलेश ने हाईकोर्ट ने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। कोर्ट में बाकायदा आरोपी हुस्ना की मौत का प्रमाण-पत्र पेश किया। दोनों का एक नाम होने का प्रमाण भी दिया। कोर्ट ने नोटिस जारी किए तो पुलिस व जेल प्रशासन ने शपथ-पत्र दिया कि जिसे पकड़ा है, वही असल आरोपी है।

गृह विभाग की रिपोर्ट से उजागर हुई सच्चाई

कोर्ट ने गृह विभाग से रिपोर्ट मांगी तो पुलिस का झूठ उजागर हुआ। हाईकोर्ट ने काॅस्ट लगाने के साथ-साथ झूठा शपथ-पत्र देने वालों पर जांच बैठाने और दोषी अफसरों पर आपराधिक मुकदमा चलाने के आदेश दिए। साथ ही सही स्थिति बताने के लिए गृह विभाग की तारीफ की। जस्टिस सतीशचंद्र शर्मा, जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की खंडपीठ ने मंगलवार को इस लापरवाही पर सरकार पर पांच लाख रुपए की काॅस्ट लगाई है। साथ ही 30 दिन में यह पैसा निर्दोष व्यक्ति को देने और उसे तत्काल इंदौर की सेंट्रल जेल से छोड़े जाने के लिए कहा है। 

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