आदरणीय महोदय, विगत कुछ दिनों से समाचार पत्रों में मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग इंदौर के सम्बन्ध में आयु गणना सम्बन्धी निर्देशों को लक्ष्मण रेखा समझकर प्रसारित किया जा रहा है। वहीं आयुगणना में 1 जनवरी 2019 को आकलित करने से कई युवा अभ्यर्थी जिन्होंने राज्य सेवा परीक्षा की तैयारी करने के लिए ड्रॉपआउट लिया है उनका भविष्य अधर में लटक जाएगा। साथ ही लोकसेवा आयोग को जिनके फॉर्म पोर्टल में भरे जा चुके है उनकी शुल्क वापसी जैसी अन्य कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ेगा। चूंकि लोकसेवा आयोग ने 2019 की अधिसूचना नवंबर 2019 में जारी की है। अतः 2008 के भर्ती नियमानुसार आयोग द्वारा आयु गणना 1 जनवरी 2020 रखी गयी है।
आदरणीय से निवेदन है प्रतियोगिता को अधिक समावेशी, निष्पक्ष और मजबूत नियमों के पालन के लिए ऐसे अभ्यर्थी जो न्यूनतम आयु 1 जनवरी 2020 को पूर्ण कर रहे है उसे यथावत रखकर सरकार ऐसे अभ्यर्थी जिनकी आयु 1 जनवरी 2020 आकलित करने से वंचित हो रहे उनकी गणना के नियम में परन्तुक द्वारा "अधिकतम आयु की गणना 1 जनवरी 2019 से की जावेगी" संशोधित कर दिया जाए ताकि लोकसेवाओं की प्रतियोगी परीक्षा में सभी भाग ले सकें। निःसंदेह भर्ती प्रक्रिया में देरी होने की वजह से आयु नियमों को तोड़ा मरोड़ा न जाकर उन्हें अधिक व्यावहारिक बनाने की दिशा में आप से सहयोग अपेक्षित है।
कभी हेय दृष्टि डालकर यह सोचिये उस विद्यार्थी की नजर से जिसने प्रतियोगिता के लिए अपनी स्नातक के बाद सभी कैरियर त्यागकर सिविल सेवा में शामिल होने का पूर्ण मन बनाया। आयोग ने मौका भी दिया लेकिन 1 जनवरी 2019 आयु गणना का सीधा सा नियम बना देने प्रशासन का भेदभावपूर्ण रवैया स्पष्ट हो जाएगा। जहां आधुनिक युग में सिविल सेवाओं की नियुक्ति सम्बन्धी वासवान समिति आयु सीमा के सम्बन्ध में वैज्ञानिक अध्ययन कर चुकी है वहीं हम नवम्बर में जारी अधिसूचना में न्यूनतम आयु गणना 11 माह पूर्व की करने जा रहे है इससे पूरे प्रदेश और देश में यही सन्देश जाएगा कि सरकार नवयुवकों को उनकी क्षमताओं के आकलन का निष्पक्ष मौका नही देना चाहती।
महेंद्र यादव, आवेदक