भोपाल। मध्यप्रदेश में हॉस्टल, पेइंग गेस्ट और आवास केंद्र संचालित करने वालों के लिए गुड न्यूज़ है। उन पर सरकारी नियंत्रण के लिए जो कानून का मसौदा तैयार किया गया था अब वह फाइलों में ही दबा रह जाएगा। मध्यप्रदेश में हॉस्टल पर नियंत्रण के लिए कोई कानून नहीं बनेगा। सिर्फ नियम और निर्देश जारी किए जाएंगे। यहां बता दें कि कानून यानी उल्लंघन पर सजा। नियम यानी उल्लंघन पर अर्थदंड।
प्रदेश में पेइंग गेस्ट, हॉस्टल, आवास केंद्र, महिला एवं बालगृह के संचालन पर नियंत्रण के लिए प्रभावी कानून नहीं है। इस वजह से सरकार को इन पर नियंत्रण करने में दिक्कत आ रही है। इसे देखते हुए विभाग ने कानून का मसौदा तैयार किया है। कानून के मसौदे को कैबिनेट में ले जाने से पहले वरिष्ठ सदस्य सचिव समिति के सामने रखा गया। समिति की मंजूरी के बाद प्रस्तावित कानून इसी सत्र में विधानसभा के पटल पर रखा जाता।
सूत्र बताते हैं कि समिति की बैठक में मसौदे पर चर्चा के दौरान मुख्य सचिव मोहंती ने कहा कि जब नियमों से काम चल सकता है, तो कानून बनाने की क्या जरूरत है। इसमें कड़े निर्देश जारी किए जाने चाहिए। इसके बाद कानून के मसौदे को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। विभाग अगले माह तक इसे लेकर कड़े निर्देश जारी करेगा।
फीस पर नियंत्रण और सुरक्षा पर फोकस
विभाग द्वारा हॉस्टल के छात्रों से परिवहन व्यवस्था सहित अन्य उद्देश्यों के चलते मांगी जाने वाली फीस, हॉस्टल में छासत्र-छात्राओं, कामकाजी महिलाओं की संख्या नियंत्रित करने, सुरक्षा गार्ड रखने, कैमरे लगाने, खाना बनाने और परोसने, पानी, चाय-नाश्ते, डॉक्टरों के इंतजाम सहित अन्य प्रावधान इस कानून में किए जा रहे थे।