भ्रष्टाचार की FIR से पहले जांच जरूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट | NATIONAL NEWS

नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रष्टाचार के सभी मामलों में प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं है। इस संज्ञेय अपराध का खुलासा करने वाले औपचारिक या अनौपचारिक जानकारी भी अभियोजन शुरू करने को पर्याप्त है। प्रारंभिक जांच हर मामले के तथ्यों और परिस्थिति पर निर्भर करेगी। 

हाईकोर्ट ने कहा था: भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने से पहले जांच जरूरी है

जस्टिस एल नागेश्वर राव व हेमंत गुप्ता की पीठ ने शुक्रवार को हैदराबाद हाईकोर्ट के 24 दिसंबर, 2018 के आदेश पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही बंद करने का आदेश दिया था। इस मामले में एफआईआर दर्ज करने से पहले पुलिस अधिकारी के खिलाफ प्रारंभिक जांच नहीं की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा: ऐसा कोई तय तरीका नहीं है कि प्रारंभिक जांच की जाए

तेलंगाना सरकार ने आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि ऐसा कोई तय तरीका नहीं है, जिसके तहत प्रारंभिक जांच की जाए। एफआईआर दर्ज होने से पहले इस तरह की जांच आवश्यक होना प्रत्येक केस के तथ्यों पर निर्भर करता है।

प्रारंभिक जांच का उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना है कि आपराधिक कार्रवाई सिर्फ अपुष्ट शिकायत पर शुरू न की जाए। इसलिए, शीर्ष अदालत ने ललिता कुमार वर्सेस उत्तर प्रदेश (2014 फैसले) में कहा था कि सभी भ्रष्टाचार मामलों में प्रारंभिक जांच का आदेश देना अनिवार्य नहीं है।  

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !